कविताअतुकांत कविता
जिंदगी बस गुजर रही है
अपनी खवाइशो को पूरा करने में
हर दिन एक नया सवेरा
नई उम्मीद जगाता है
सांज ढलते _ढलते मायूसी की चादर उड़ा जाता है
आयेगा एक नया दिन भी बस ये उम्मीद
फिर से हौसले को दुगना कर जाती है
जीवन जिए जानें का नाम है
हर दिन कुछ नया करना,
यही तो मनुष्य की पहचान है