Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
सुकून ए क़ल्ब केलिए नींद ज़रूरी है नींद केलिए सुकून ए क़ल्ब ज़रूरी है सब्रो-क़रार हैं मयस्सर मुफ्त में मग़र ज़ीस्त में हर शय की तलब ज़रूरी है ............................© dr.n.r.kaswan 'bashar' بشر