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कवितानज़्म
किसीका किरदार परखने वालेका अपनाभी कोई किरदार होगा हक़ीक़त बयां होगी आईने के समने सबको खुदका दीदार होगा © डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر