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एक अधूरी ख्वाहिश - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कहानीसस्पेंस और थ्रिलरअन्य

एक अधूरी ख्वाहिश

  • 145
  • 24 Min Read

विज्ञान कथा
एक अधूरी ख्वाहिश
बहुत दिनों से एक कहानी लिखना चाहता था। रोज़ाना यहीं समुद्र के किनारे एक ऊंची चट्टान पर आकर बैठ जाता।यह कहानी कई मायनों में हम से अलग होनी चाहिए।एक ऐसी काल्पनिक कहानी जो ,कुछ-कुछ लोक कथाओं और किंवदंतियों में होती है।
कुछ ऐसी जो निश्चित रूप से हमारी दुनिया में नहीं हो सकती। थोड़ा अंतर यह होगा कि यहां प्रकृति के नियम काम करेंगे।काल्पनिक दुनिया में, रसायन विज्ञान, भौतिकी और किसी भी अन्य विज्ञान से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है।यह दुनिया जादू से शासित होगी और अलौकिक प्राणियों द्वारा बसाई गई होगी।
आमतौर पर इसमें अच्छे और बुरे के बीच का संघर्ष रचना होगा। कथानक में यात्रा ,पहेली/ समस्या और उसका समाधान होगा। मेरी कहानी की नायिका होगी एक मत्स्यकन्या।
बचपन से ही इन्होंने मुझे अपनी और आकर्षित किया है। मेरी कल्पना में यह विनोदी स्वभाव की है। किसी का बुरा नहीं करती। इस मत्स्यकन्या और इसकी तरह के अन्य मत्स्यकन्याओं
के खिलाफ एक साज़िश रची जाएगी।इन्हें आश्वस्त किया जाएगा कि बिना फिंस के ये खूबसूरत महिलाओं से भी अधिक खूबसूरत लगेंगीं,और एक खूबसूरत दुनिया, यहां की दुनिया से कई गुना ज्यादा खूबसूरत दुनिया की मल्लिका बनेंगी।
और फिर विशेष उपकरणों से इनके फिंस (गलफड़े) काट दिए जाएंगे!जिनके बिना ये पानी के नीचे स्वतंत्र रूप से तैर नहीं सकेंगी।
यह काम अत्यंत गोपनीय ढंग से करना होगा।इसका समय और स्थान कहां हो, इसकी विस्तृत रूपरेखा बनानी होगी। इस काम को कितनी मत्स्य कन्याओं पर करना है, यह भी मेरी योजना में शामिल होना चाहिए। किस द्वीप या किस महाद्वीप पर यह काम किया जाए कि मैं दुनिया की नज़रों से बचा भी रहूं। इस काम को करने के लिए पूंजी कहां से आएगी और कितनी लगेगी इसका निश्चित अनुमान और व्यवस्था करनी होगी ऐसा ना हो कि आधे- अधूरे में काम छोड़ना पड़ जाए। उस द्वीप का मौसम ,वहां के नियम- कानून सब का गहन अध्ययन करना पड़ेगा।और सबसे महत्वपूर्ण; अगर मेरा काम सफल हो गया तो उन कन्याओं को, जो अब मत्स्यकन्याएं नहीं रही होंगी, उन्हें अपने देश लाने के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था करनी होगी। वह भी सीमाओं से निर्विघ्नं कैसे आ सकें, यह भी देखना होगा।अगर ऐसे जहाज जो प्रकाश की गति से उड़ते हैं, उपलब्ध हो जाएं, तो अधिक सुविधाजनक रहेगा। मुझे कुछ हथियार भी साथ रखने होंगे। जिससे आवश्यकता पड़ने पर मैं अपने बचाव के लिए इस्तेमाल कर सकूं।
मुझे इन मत्स्यकन्या की ताकत की गणना भी करनी होगी। कहीं यह मुझ पर भारी न पड़ जाएं और मेरा प्रोजेक्ट चौपट हो जाए। यह कितनी देर सोती हैं, कितनी देर आराम करती हैं और इन्हें कैसे भोजन की आवश्यकता होती है, इस सबकी बारीकी से जानकारी करनी होगी।इनकी याददाश्त कितनी है यह जानने के लिए इनसे कई सवाल पूछने होंगे, क्योंकि कभी भी पकड़े जाने पर यह बता सकती हैं कि मैंने उनके साथ क्या किया। सवालों की फेहरिस्त बनानी होगी, जैसे;मैं कौन हूं ?मेरे माता-पिता कौन हैं?जवाब होने चाहिए,' याद नहीं आता।शायद जादूगर थे वगैरह..।एक भविष्यवाणी हुई, मुझे कहा गया कि मैं एक परिवर्तन के लिए चुनी गई हूं। मैं नायिका हूं इस परिवर्तन की। दुनिया में भयानक तबाही आने वाली है और इस समय इस दुनिया को अगर कोई बचा सकता है तो मैं और मेरी तरह की यह सभी अन्य कन्याएं, जो मेरे साथ हैं।'
तो अब मुझे थोड़ा समय चाहिए अपनी कहानी पर काम करना शुरू करने से पहले। ले आउट तो मैंने तैयार कर लिया है लगभग।
इस कथानक ने मुझे रात भर सोने नहीं दिया मेरे मन में यह अहम सवाल उठा कि मुझे कथा में अपना उद्देश्य भी स्पष्ट करना चाहिए, आखिर क्यों मैं इन मत्स्य कन्याओं को
अपने मनचाहे रुप में लाने की कोशिश कर रहा हूं। मेरा उद्देश्य इन्हें नष्ट करना नहीं है।फिर, बस ऐसे ही, बिना मकसद के ? मगर बेमकसद किए गए काम की कभी सराहना नहीं होती, फिर इस कथानक की सराहना कहां होगी?
मुझे हर हाल में मकसद ढूंढना होगा। लम्बी दिमागी कसरत के बाद मुझे मकसद मिल गया मैं लिखूंगा कि
मुझे एक मत्स्यकन्या से सचमुच प्यार हो गया था...! हमारे प्यार का भविष्य क्या होगा, मुझे नहीं मालूम! क्या प्यार अंजाम सोचकर होता है ? मैं बगैर अंजाम की परवाह किए उसे अपने दिल की बात बता देता हूं।
और कहानी का अंत मैं करूंगा इस तरह.....
यह क्या, मेरा उससे यह कहते हैं कि मैं उससे प्रेम करता हूं ,एक पूरी हथियार बंद सेना समुद्र के अंदर से निकल आई है।सशस्त्र बलों की एक पूरी बटालियन ने मुझे घेर लिया।मानो चारों ओर से एक चादर ने उजाले को छिपा लिया।घुप्प अंधेरा हो गया। कुछ दिखाई देना बंद हो गया।यह मुझे कौन खींच रहा है? यह कैसी भूलभुलैया है,ओह,किस अनंत गहराई में मुझे खींचते लिए जा रहे हैं! यह कैसा वीभत्स अट्टहास है!
यह काले हूड से चेहरा छिपाए लबादे में कौन है? मैं.. मैं होशो-हवास खो रहा हूं......।
और बस।
मुझे उम्मीद है संपादक को मेरी यह कहानी पसंद आए और कुछ दिन के लिए घर की दाल- सब्जी का बंदोबस्त हो जाए। सारी योजना अपने कंप्यूटर पर लाने की कोशिश करता हूं...।योजना लगभग पूरी हो चुकी है इसकी सफलता में मुझे अब कोई संदेह नहीं है।
तीसरे दिन की सुहानी खिली - खिली सुबह है।मेरे दिमाग से बोझ हल्का हो चुका है।चाय पीने के बाद मैंने कंप्यूटर ऑन किया।एक बार फायनल लुक देख लेना चाहता हूं। यह क्या......!कंप्यूटर वायरस ने मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया….सारी योजना नष्ट हो गई...।

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत रहस्यमय विचारयात्रा..!

Gita Parihar3 years ago

धन्यवाद आपका

दादी की परी
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