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हमारे अध्यापक
मैंने बी ए में अंग्रेज़ी साहित्य लिया था.
हाईस्कूल और इन्टर में भी अध्यापक बहुत अच्छे थे. मन से पढ़ाते थे. इसी से साहित्य में बहुत रूचि थी.
अंग्रेज़ी के अध्यापक भी बहुत अच्छे थे. मेरे हमेशा अंग्रेज़ी में अच्छे अंक आये . मैं अपने सभी अध्यापकों का ह्रदय से आभारी हूं.
उन सब ने बहुत स्नेह और लगन से, हम सबको पढ़ाया.
लेकिन बी ए में अंग्रेज़ी साहित्य के, एक युवा अध्यापक, सिन्हा साहब को हम लोग बहुत पसन्द करते थे.
वे बहुत हंसमुख और हाज़िर जवाब थे..
वे कीट्स, शैली, वर्डसवर्थ.. आदि नेचर के कवियों को बहुत अच्छा पढ़ाते थे.हम लोग उस वातावरण में खो जाते थे.
व्यावहारिक जीवन की भी बहुत सी बातें करते थे.
वे कहते थे, अपने अनुभवों से तो सभी सीखते हैं. '' वी शुड लर्न फ्रोम एक्सपीरियंसेज़ आफ अदर्स ''
उनके क्लास में समय का पता ही नहीं चलता था..
हम लोग उनकी बहुत प्रतीक्षा करते थे..
कविताएं पढ़ाने का उनका अलग ही अन्दाज़ होता था.
हम लोग बिल्कुल डूब जाते थे.
राबर्ट ब्राउनिंग की एक कविता '' पोरफिरियाज़ लवर '' उन्होंने पढ़ाई थी.
इस कविता में, उसका प्रेमी, प्रेम के आवेग में, उच्च वर्ग की अपनी प्रेमिका, पोरफिरिया को हमेशा के लिए, अपने पास रखने के लिए, उसी के बालों के गुच्छे से, उसकी यादों को हमेशा अपने पास रखने के लिए, उसको निर्जीव कर देता है.. हम लोग हतप्रभ रह गये थे, जब उन्होंने कहा.... '' एंड स्ट्रेंगिल्ड हर ''
.. अब दो प्रेमियों के बीच कोई, ऊंच नीच की कोई दीवार नहीं रह गयी है..प्रेमी की बाहों में '' निर्जीव पोरफिरिया '' सुरक्षित थी.
हम लोग भी कविता से हतप्रभ रह गये.
तब की स्थितियां, योरोप में भी अलग थीं..
टामस ग्रे की '' एलेजी रिटेन इन ए कन्ट्री चर्चयार्ड '' भी हम लोगों को पसन्द थी, जिसे भी उन्होंने बहुत अच्छी तरह से पढ़ाया था..
ऐसा नहीं था कि वह हमेशा, बहुत गम्भीरता से पढ़ाते थे,
तुरन्त लाइट मूड में, और वर्तमान में आ जाते थे.. कोर्स से अलग भी, जीवन से सम्बंधित.. सभी प्रकार की बातें करते थे..
हम सभी छात्र उन्हें बहुत पसन्द करते थे, उनके व्यक्तित्व के लिए.. उनकी आत्मीयता और जीवन्तता के लिए.
वैसे सभी भाषाएँ सम्मान के योग्य हैं.. यह एक संयोग है कि मैं अंग्रेज़ी साहित्य की बात कर रहा हूं. क्योंकि सिन्हा साहब, अंग्रेज़ी के ही अध्यापक थे.
देश और विदेश की सभी भाषाऐं , उत्कृष्ट साहित्य से पूर्णतः सम्पन्न हैं . सभी में बहुत बड़े बड़े और प्रसिद्ध साहित्यकार हुए हैं. सभी सम्माननीय हैं.
मैं प्रायः अपने सभी अध्यापकों को बहुत याद करता हूं,क्योंकि बहुत सी छात्र जीवन की स्मृतियाँ उनसे जुड़ी हुई हैं.
हम अपने सभी अध्यापकों के सदैव ऋणी रहेंगे. 🌹🙏