Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
गहरी नींद - Anju Kanwar (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

गहरी नींद

  • 188
  • 3 Min Read

गहरी नींद में सोना है मुझे
धरती की बाहों में
बादलों की छाव में
शर शराती हवाओं में
गुलाबों की खुशबू में
रोशनी से परे
एक गहरे अंधकार में
डूबना है मुझे,
ना सुबह का सूरज
ना रात के चांद तारे
ना उजाले से महकती
रोशनी,
समय का ना कोई चक्र
ना घटते दिन वार महीने
शरीर का ना मोहमाया
ना सुगंध ना दुर्गंध
केवल सुन्य काल हो
ना आगे निकलने का डर
ना पीछे छुट जाने की परेशानी
भविष्य की ना कोई परवाह
ना अतीत वर्तमान का भय
मनमर्जी ही मेरी अहम हो
गहरे काले अंधकार में
ना दिए की रोशनी में
मुझे सोना है अब एक
गहरी नींद में
सोना है मुझे गहरी नींद में,

अंजू कंवर

IMG_20200909_182339_1599657835.jpg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg