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टूटी मचान - Deepti Shukla (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

टूटी मचान

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कभी मै जिद बनू तुम्हारी,
और तुम मेरी पहचान हो
पर आँख का बना आँसू,
था कभी चेहरे की मुस्कान वो
दिल को मिलती थी जिससे राहत,
आज बस गले में अटकती सी जान हों
दिल का था जो सबब वो प्यार
आज जैसे कोई टूटी मचान हो

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