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Sahitya Arpan - Deepti Shukla
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Deepti Shukla

'वृंदा'

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  • Genre wise ranking

    Section Genre Rank
    सुविचार भक्तिमय विचार Second
    सुविचार अनमोल विचार Third
    कहानी एकांकी 4th
    कविता अतुकांत कविता 5th

    कविताअतुकांत कविता

    कहो श्याम कैसे आये?

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 89
    • 2 Mins Read

    कारी बदरी बन पिया घनश्याम
    काहे अब मोहे तुम भिझोने आये
    मोरो मन अंगना भीजो नयन समंदर सू
    एह कबहू रीत ना पाय
    कहो श्याम कैसे आये?
    जाओ बरसो ना अब बरसाने में
    तुम सू प्रीत कर हम बड़ो पछताय
    राह तकत थके मोरे
    Read More

    कहो श्याम कैसे  आये?,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    रे मन

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 89
    • 3 Mins Read

    रे मन! धीरज धर तू माँ देवकी सा l
    हो तटस्थ अवसर देख वासुदेव सा ll
    मन को रख स्थिर, तू कालजयी हो जाएगा l
    यह है कालचक्र, स्वयं की सत्गति से आएगा ll

    टूटेंगी अनायास विवशता की सब बेड़ियां l
    बंद हैं जो कारागार,
    Read More

     रे मन,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मैं दीन तू दानी

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 127
    • 2 Mins Read

    मैं दीन तू दानी
    मैं अधीर तू धीर
    मैं सुर तू संगीत
    मैं उत्पत्ति तू सृष्टि
    मैं निर्बल तू सबल
    मैं विषम तू सहज
    मैं जटिल तू सरल
    मैं लहर तू सजल
    मैं भाव तू विचार
    मैं ऊर्जा तू संचार
    मैं ज्ञान तू प्रसार
    मैं
    Read More

    मैं दीन तू दानी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    महारास

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 124
    • 3 Mins Read

    रूठोगे तुम कान्हा तो तुम्हे मनायेंगे
    तुम बिन कान्हा अब जी नहीं पाएँगे
    पूनम की होगी रात हम तुम रास रचाएंगे
    वृन्दावन के कानन में कान्हा रस बस जाऐंगे
    जनम जनम की प्रीत के गीत बन जाऐंगे
    रोम रोम सबका
    Read More

    महारास,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख

    पता है

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 120
    • 2 Mins Read

    पता है...
    विश्वास मेरा बड़ा कच्चा है
    समर्पण भी अधपका है
    प्रेम की लौ अभी जलाई ही नही
    ख्वाबोकी खीर कम आँच पे पकाई ही न्ही
    ---------------------------------------------------------
    कोई आए ना आए बस तू मिलने आ जाना
    मेरी डूबती सांसो में इक
    Read More

    पता है,<span>आलेख</span>
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    लेखआलेख

    ताना बाना

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 155
    • 2 Mins Read

    दिल के तार जुड़ने से पहले ख्वाइशओ का ताना बाना बुन लिया
    उड़ने से पहले घरोंदा को ख्वाबो से अपने भर लिया
    घर बनाने से पहले मैने सामानो से मकान भर लिया
    किरदार मेरा कम था बहुत पर जीवन का नाटक पूरा मेने
    Read More

    ताना बाना ,<span>आलेख</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    कोई राह दिखला दो

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 71
    • 1 Mins Read

    भगवन कोई राह दिखला दो
    शिथिल शिला पड़ी , पिघला दो।
    ज्वालामुखी सा चाहे पथ लाल हो
    आशाओ का सजा सुनहरा भाल हो

     कोई राह दिखला दो,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख

    दिल की गिरह

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 113
    • 3 Mins Read

    दिल की गिरह

    मैं आज की प्रगतिशील
    नारी...तकनीकी राह में
    उनत्ति तो बहुत मिली
    कंप्यूटर से चिपकी नजरे
    कीबोर्ड, फ़ोन और कैमरे
    पे खटाख़ट चलती उंगलियां
    पर ये उंगलियां छू नहीं पाती
    वो जो सुन्दर अहसास हैँ
    Read More

    दिल की गिरह ,<span>आलेख</span>
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    कवितागीत

    ये स्पर्श

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 87
    • 3 Mins Read

    मैंने प्रीत दा पानी चखदा
    ये स्पर्श
    निर्झर झरते मीठे पानी सा
    ये स्पर्श
    तन पे लगती ठण्डी पुरवाई सा
    ये स्पर्श
    मन को भिगोती सौंधी माटी सा
    ये स्पर्श
    ओढ़ी चूनर रंग धानी सा
    ये स्पर्श
    महकी महकी रात की रानी
    Read More

    ये स्पर्श,<span>गीत</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    बिगुल

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 107
    • 2 Mins Read

    जितना बड़ा युद्ध
    करी उतनी बड़ी तैयारी
    बिगुल बजा ऐसा
    दुश्मन की धरती हिला दी l
    दुलहन बन सजी पद्मा जब
    जब जौहर की हुई तैयारी
    शंख बजा ऐसा अग्नि की सबमे
    ज्वाला है भड़का दी l
    माझी ने नाव सजाई और
    लाल पताका
    Read More

    बिगुल ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख

    बारिश की बूंद

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 128
    • 5 Mins Read

    आत्म अवलोकन
    मन से संवाद

    बारिश की बूंद बन मैं अभी अभी टप टप तन पे तेरे पड़ी .
    घर से निकली जो घनश्याम, घन घोर घटा बन बरस रही अब जो निकली हूँ घर से लौट के फिर ना जाऊँगी बस बहती और तेज बहती चली जाऊंगी...

    तू बस
    Read More

    बारिश की बूंद ,<span>आलेख</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    आसमान के पार

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 105
    • 3 Mins Read

    .कितनी अजीब बात है ना
    ईश्वर को देखने के लिए
    हमेशा ऊपर आसमान को
    या.......
    आसमान के पार देखने
    की कोशिश करते हैं

    उत्सुकता होती है
    एक खुली खिड़की देख पाने की
    या कभी चांद को आसमान के
    कैनवस से ज़रा सा
    खिसकाकर
    Read More

    आसमान के पार,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    फिर देख !!!

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 84
    • 1 Mins Read

    रख एक सीढ़ी विश्वास की
    और आकाश का विस्तार देख
    कि इस ज़मीं से भी परे है
    एक नया संसार देख
    जर्रे जर्रे में है तेरा खुदा
    तू रख खुद पे इतना विश्वास
    फिर देख !!!

     फिर देख !!!,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    रंग रही मैं नवरंग रे

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 92
    • 1 Mins Read

    रंग रही मैं नवरंग रे
    मिला जो तेरा संग रे
    तेरे रंग रंगी राधिका
    मन नाचे ,नाचे अंग अंग रे
    लगे सब मोहे सतरंग रे
    तू ही तू बस रहा
    मन मोरे मलंग रे

    रंग रही मैं नवरंग रे  ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ख्वाइश-ए-जिंदगी

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 88
    • 1 Mins Read

    काकर पाथर रेत संग
    छलनी सी छ्न रही जिंदगी
    पाथर पाथर रह गये
    उड़ रही रेत बन
    ख्वाइश-ए-जिंदगी

    ख्वाइश-ए-जिंदगी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    अगन जलाये हैं...

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 62
    • 1 Mins Read

    इन आँखों में
    उम्मीद नहीं अब
    खुद के ख्वाब जगाये हैं...
    आँखे को दे सुकून
    हम दिल में वो
    अगन जलाये हैं...

    अगन  जलाये  हैं...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तुम ही बतलाओ कान्हा...

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 72
    • 1 Mins Read

    तुम ही बतलाओ कान्हा...

    लहरो को पलटा दे जो, वो संवेग कहाँ से लाऊ?
    चमका दे माथे पे बिंदिया, वो तेज कहाँ से लाऊ?

    तुम ही बतलाओ कान्हा... ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तमन्नाए...

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 65
    • 4 Mins Read

    तमन्नाए वही ना जो मन को अक्सर उडा ले जाती है
    तमन्नाए वही ना जो धड़कनो में अक्सर मचलती सी रहती है
    तमन्नाए वही ना जो बेपरवाह सी बस अपनी करती है
    तमन्नाए वही ना जो लाख समझाने पर भी ज़िद्दी सी होती है
    Read More

    तमन्नाए...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    आफ़्ताब-ए-ज़ीस्त

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 63
    • 1 Mins Read

    सुस्त है हर सहर
    आफ़्ताब-ए-ज़ीस्त है गुम कहाँ?
    पारे सा बिखर रहा जीवन
    जुनूने जिस्त है गुम कहाँ?

    आफ़्ताब-ए-ज़ीस्त ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ये शून्य ही सम्पूर्ण है

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 75
    • 2 Mins Read

    ये शून्य ही सम्पूर्ण है

    ये वेदनाओं से परे
    या संवेदनाओं से परिपूर्ण है |

    ये शून्य ही सम्पूर्ण है

    ये संभावनाओ से दूर
    या अपूर्णता में भी पूर्ण है |

    ये शून्य ही सम्पूर्ण है

    ये रस्मो रीति से दूर है
    Read More

    ये शून्य ही सम्पूर्ण है,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तेरी यादो के अंजुमन में

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 80
    • 2 Mins Read

    तेरी यादो के अंजुमन में
    शमा बन हम जलते रहे...

    मेरे ख्वाबो के पतंगे
    रात भर जलते रहे
    ...
    सूने जीवन में
    फिर भी रंग नये भरते रहे

    तेरी यादो के अंजुमन में
    शमा बन हम पिघलते रहे..

    तेरी उम्मीदों से मेरी
    हर शाम
    Read More

     तेरी यादो के अंजुमन में ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    घनी है रात

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 52
    • 2 Mins Read

    देखो
    घनी है रात पर
    तारे टिमटिमा रहे हैं

    देखो
    दिल है उदास
    पर तुम संग
    हम मुस्करा रहे हैं

    सुनो
    कल कल करती आवाज़
    कोलाहल मन के सारे
    जा रहे हैं

    महसूस करो
    हाथों में मेरे हाथ
    हम तुम एक हुए जा रहे हैं

    जानो
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    घनी है रात ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ले कान्हा मैं आय गयी रे

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 48
    • 2 Mins Read

    कजरा लगाय के
    बिंदया सजाय के
    ले कान्हा मैं
    आय गयी रे

    लाली लगाय के
    कैश बनाय के
    ले कान्हा मैं
    आय गयी रे

    लहंगा पाय के
    चुनरी डाल के
    उड़ने गगन को
    ले कान्हा मैं
    आय गयी रे

    तोहे नचाऊँगी
    खुद पे रिझाऊंगी
    Read More

    ले कान्हा मैं  आय गयी रे,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    आकर्षण

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 51
    • 5 Mins Read

    मेरे नैनों का यू चमकना
    टकटकी लगा तुझे तकना
    आकर्षन नहीं तो और क्या है?
    मेरे बोलो का यू मिठास से भरना
    और तेरे कानो से धीरे धीरे उतरना
    आकर्षण नहीं तो और क्या है?
    मेरे हाथो का यू थिरकना
    तेरे समीप आ यू
    Read More

    आकर्षण,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मन था रीता

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 47
    • 1 Mins Read

    मन जो पंख पसार मयूर बना
    वो ही अंग संग आ साथ चला
    मन था रीता,आ मन को सींचा,
    जीत के मन को, जा गाई गीता

     मन था रीता,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    नई थिरक

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 50
    • 1 Mins Read

    पैरो को मिली नई थिरक
    बौराई पवन ने दी ऐसी सनक
    डूबकर ही होता है उबरना
    प्यार में तेरे ऐसा निखरना
    चाँदनी का तन पे बिखरना
    मन का चम चम चमकना

     नई थिरक  ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख

    जिंदगी थी जो पन्नों पे उतार दी

    • Edited 2 years ago
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    • 70
    • 2 Mins Read

    मैं अब तुम्हे नहीं मिलूंगी...जिंदगी थी जो पन्नों पे उतार दी है... लकीरें हैं कुछ इसमें जो साँसों से खीची हैँ... ख्वाब थे कुछ जो खुश्बू बने पड़े हैँ इसमें... जो उठो पड़के तो लगाव का बुकमार्क लगा देना....थोड़ा
    Read More

    जिंदगी थी जो पन्नों पे उतार दी,<span>आलेख</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    प्रीत में कुछ ना शेष

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 69
    • 2 Mins Read

    प्रीत कर तो सम्पूर्ण कर,
    प्रीत में कुछ ना शेष
    तू कदम्ब मैं कालिंदी
    में नदी प्रेम की
    भरू सूखे तरु में प्राण
    पाषाण से हृदय में भी
    डालू अपनी जान
    रीते रस्तो मे भी
    रिस्ती रिस्ती
    हौले हौले आऊ
    ठन्डे
    Read More

    प्रीत में  कुछ ना शेष,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख

    नाद से संवाद

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 75
    • 2 Mins Read

    गागर सागर में डुप डुप कर भर रही l भीतर मन, बाहर काया शीतलता सब तन मन होय रही l कुछ प्रहार अपनी स्मृतियों पर जो मुझे मेरा होने नहीं देती..अब नाद से संवाद होगा...कान्हा से कुछ यूँ मेरा मिलाप होगा l कुछ
    Read More

    नाद से संवाद ,<span>आलेख</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ये हुनर दिखाने का

    • Edited 2 years ago
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    • 80
    • 2 Mins Read

    प्रेम घृणा अपना पराया सब पत्ते खुल गये बंधन सारे टूट चुके हैं अब बस चन्द धागे शेष हैं...कहीं उनमे ही उलझ ना जाऊ? क्या सब धागे हटा दू पर वो तो मेरे वस्त्रो से निकले हैं..मेरे तन से मेरे अंतर्मन से चिपके
    Read More

    ये हुनर दिखाने  का ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    होए स्वीकृति

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 79
    • 1 Mins Read

    बंधन सारे सोच के
    जो खोलू सब जग पाऊ
    जिऊ उर खोल में
    जो तेरे संग बंध जाऊ l

    तेरे आलिंगन में
    गुम हो सब विकृति
    युगल बंध में बांधे प्रकृति
    ऐसे कि सबकी होए स्वीकृति

    होए स्वीकृति ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    पिया अलबेली हूँ

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 93
    • 1 Mins Read

    कुछ चुपसी, कुछ अकेली हूँ
    खुद की खुद ही सहेली हूँ
    कानो मैं आकर कह दे कान्हा
    कि मैं तेरी पिया अलबेली हूँ

    पिया अलबेली हूँ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    एक धनक

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 77
    • 1 Mins Read

    बिन देखे, बिन जाने
    ले चली तेरी मूरत बनाने
    पर ये मूरत कैसे बनेगी?
    तू बस एक धनक, एक चमक
    एक ललक, एक झलक

     एक धनक,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    प्रेम मधुरसम मस्ती है

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 68
    • 2 Mins Read

    जब सूरज की रोशनी पीले पुष्पों पे पडती है
    जब देख बदरा तपती धरती सौंधी सी हसती है
    जब फूलों पे तितलियाँ भोरो संग गुंजन करती हैँ
    जब स्वाति की बूँदे पपीहे का मुख रसीला करती है

    जब नई उमंगओ की कूची पुष्पों
    Read More

    प्रेम मधुरसम मस्ती है,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख

    मन के संवाद

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 87
    • 5 Mins Read

    आत्म अवलोकन
    मन के संवाद

    बारिश की बूंद बन मैं अभी अभी टप टप तन पे तेरे पड़ी .
    घर से निकली जो घनश्याम, घन घोर घटा बन बरस रही अब जो निकली हूँ घर से लौट के फिर ना जाऊँगी बस बहती और तेज बहती चली जाऊंगी...

    तू बस
    Read More

    मन के संवाद,<span>आलेख</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    श्याम थाम कलाई

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 55
    • 1 Mins Read

    श्याम थाम कलाई पुरजोर
    नयनो में लिपट रही मोह की डोर
    मन हो विभोर, ले चल मुझे स्वर्ग की ओर
    आनंद का जहाँ कोई ना छोर

    श्याम थाम कलाई  ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    अतुकांत कविता

    झील सी झिलमिल

    • Edited 2 years ago
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    • 60
    • 1 Mins Read

    बहक गयीं थी, वेग में
    दिखा नहीं अपना अक्स,
    चलो अब थम जाती हूँ l
    नदी सी बहना नहीं अब,
    झील सी झिलमिला जाती हूँ l

    झील सी झिलमिल,<span>अतुकांत कविता</span>
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    अतुकांत कविता

    मधुर मधुर मधुरम

    • Edited 2 years ago
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    • 41
    • 3 Mins Read

    मधुबन
    मधुर मधुर मधुरम
    हो ये गगन ये धरा
    चलो आज घर घर
    हम तुम सब मिलकर
    मधुबन बनाये
    घर तो बस जाते है यहाँ
    बस्ता नहीं है चैन
    चलो आओ ख़्वाबों की
    हम तुम सब डोली सजाये
    चलो आज घर घर
    हम तुम सब मिलकर
    मधुबन बनाये
    सुर
    Read More

    मधुर मधुर मधुरम,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मैं मेरी हाँ मेरी...

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 72
    • 3 Mins Read

    मैं मेरी हाँ मेरी...
    मेरी सदाये अब करने लगी गुप चुप
    रात-दिन मुझसे ही सरगोशियाँ...
    मेरा इश्क़ मुसलसल होने लगा मुझसे
    मुझें मुझसे ही आने लगी मदहोशियाँ...
    मेरी बेबाकियाँ थक के ले रही अंगड़ाईयाँ
    मुझे आगोश
    Read More

    मैं मेरी हाँ मेरी...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    अतुकांत कविता

    अनुभव ही ज्ञान है

    • Edited 2 years ago
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    • 49
    • 5 Mins Read

    अनुभव ही ज्ञान है
    कन कन तोरा आखर
    सोचूं पढ़ पंडित होलूँ...
    लिखना आज देर तलक
    भर भर आखनं तोहे भोर तलक
    ढाई आखर प्रेम का पढ़ पंडित होलूँ
    बैठी हाथ में लेकर
    कागज़ कलम दिल की दवात
    थोड़ा छिड़कू सूखी जमीं पर सुर्ख
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    अनुभव ही ज्ञान है ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    जो तुम रूठ गए

    • Edited 2 years ago
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    • 67
    • 2 Mins Read

    डरता मन
    फिरता वन वन
    तुम कहाँ गए
    घनश्याम...
    जीवन सागर
    भव तर जाऊँ
    जो तुम रूठ गए
    घनश्याम
    कित मैं अपने
    चरण धराऊ
    डरता मन
    फिरता वन वन
    तुम कहाँ गए
    घनश्याम...
    सूखी धरती
    निरझर नयन
    कांपत अधर
    कठिन डगर
    क्यूँ तुम
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    जो तुम रूठ गए,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख, अन्य

    मनन

    • Edited 2 years ago
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    • 69
    • 2 Mins Read

    कभी-कभी हम बस चलते ही चले जाते हैं पर जिंदगी ठहर सी जाती है
    क्यों ना हम कुछ देर ठहर कर देखें शायद जिंदगी चल पड़े
    कभी-कभी टेड़े मेढे रास्ते जंगल के दरिया तक ले जाते हैं तक लेकर जाते हैं और कभी कभी सीधे
    Read More

    मनन,<span>आलेख</span>, <span>अन्य</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    कुछ ऐसा हो जाए

    • Edited 2 years ago
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    • 52
    • 1 Mins Read

    कुछ ऐसा हो जाए
    तू ख्वाब बन मन को महका जाए
    मेरी मुदरी का खोया
    मोती मिल जाए
    आँखों के काजल से
    इक रात और गहरा जाए
    प्रेम से लबालब भरे तोरे नयना
    मेरे मन की प्यास बुझाये
    कुछ ऐसा हो जाए...

    कुछ ऐसा हो जाए,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    कारी बदरी

    • Edited 2 years ago
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    • 54
    • 2 Mins Read

    कारी बदरी बन पिया घनश्याम
    काहे अब मोहे तुम भिझोने आये
    मोरो मन अंगना भीजो नयन समंदर सू
    एह कबहू रीत ना पाय
    कहो श्याम कैसे आये?
    जाओ बरसो ना अब बरसाने में
    तुम सू प्रीत कर हम बड़ो पछताय
    राह तकत थके मोरे
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    कारी बदरी ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कवितागीत

    चकमक पत्थर

    • Edited 2 years ago
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    • 106
    • 2 Mins Read

    वे दो चकमक पत्थर,
    कुछ देर को जले
    फिर हुए बेअसर,
    वे दो चकमक पत्थर l
    कितने बेबस,
    कितने विचित्र !
    थे तनिक बारिश से
    वो सोगाये l
    जलती-बुझती चिंगारी से
    अब क्या अंगार जलाये ?
    कैसे हो संवर्धन
    शेष बस जहाँ
    रह
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    चकमक पत्थर,<span>गीत</span>
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    कवितागीत

    अरे ओ रे कान्हा

    • Edited 2 years ago
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    • 65
    • 4 Mins Read

    अरे ओ रे कान्हा
    मुझको नहीं अब चैन
    आन बसो मोरे नैन
    मुझको नहीं अब चैन
    अरे ओ रे कान्हा
    कान्हा रे कान्हा
    मुझको नहीं अब चैन..

    निर्मल दिल दो निश्छल नैना
    मुझको तो बस तुझ संग रहना
    तेरे मिलान की आस लगाये
    ये
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    अरे ओ रे कान्हा,<span>गीत</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मेरा मनमीत

    • Edited 2 years ago
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    • 89
    • 2 Mins Read

    मन में वादियो सी गहराईया भर
    तू हिमालय सा संग आ खड़ा

    महकाता चन्दन सा हिया
    लफ्जो को नया अर्थ मिला

    और जो गाऊ गीत मैं प्यार के
    लौटाये तू सुर संगीत बना

    साँसों सा जो आ तू बसा
    मुझे मेरा मनमीत बना

    प्यार की
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    मेरा मनमीत,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ममता की छाँव

    • Edited 2 years ago
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    • 59
    • 6 Mins Read

    ममता की छाँव
    माँ का आँचल जीर्ण -शीर्ण
    सा हुआ पड़ा था
    जल रही थी धूप में सिर से
    उसके आँचल जो हटा था |
    सिर खुला देख अपनों ने बस
    उसको उलहाने ही दिए
    ये ना देखा आँचल तले उसके
    मैं छाँव में खड़ा था |
    छोटा था मैं
    मैने
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     ममता की छाँव,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    संबल

    • Edited 2 years ago
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    • 61
    • 8 Mins Read

    हरे भरे उपवन में कमजोर इक लता थी उदास l देख उसकी ये दशा विशाल वृक्ष से रहा ना गया पूछने लगा "क्यूँ हों गुमसुम सी मेरी तरह क्यूँ नहीं नाचती -गाती, लहराती l"

    लता बोली "मुझे तो कोई हरयाली नहीं दिखती तुम्हारी
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    संबल ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मैंने आज बस इतना किया

    • Edited 2 years ago
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    • 68
    • 3 Mins Read

    मैंने आज बस इतना किया
    पूजा करते हुए तुम्हारी
    खुद को तुम समझ लिआ
    जिसमे बसती थीं तस्वीर तेरी
    उन नयनों को एक तस्वीर किया
    माथे को रख दर पे तेरे
    नयनों को मेरे कमल और
    पैरों का तेरे चन्दन किआ

    उठती ना थीं
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     मैंने आज बस इतना किया,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    गिरिजा

    • Edited 2 years ago
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    • 55
    • 1 Mins Read

    गिरिजा

    बरसों ना बरसे, घुमड़ घुमड़ रह रहे बस बदरा
    धरती की परिधि से उठ तब चल चली गिरिजा
    फिर अंधियारों में, हो अलौकित शक्तिपुन्ज
    गरज गरज गमक रही, दमक रही बन बिजुरि l

    गिरिजा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    यशोधरा

    • Edited 2 years ago
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    • 187
    • 3 Mins Read

    यशोधरा
    अनगिनत प्रश्न रातो में जगाये रहते
    उत्कंठित मन, अश्रु अंजन संग
    अविरल बहते
    केशो सा काला जीवन
    बिन आर्य के किस
    गाथा में गूथें
    मन के उदगार
    कैसे शांत हो पाए
    सांत्वना की माला
    कैसे गल कंठ में पाए
    देख
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    यशोधरा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    आशाओ के दीप जलाऊँ

    • Edited 2 years ago
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    • 104
    • 2 Mins Read

    खाली घट से कब
    किसकी प्यास बुझी है
    जलके माटी तन की
    राख़ बन जल में बही हैँ
    सो मैं गीत प्रेम के गाऊँ
    आशाओ के दीप जलाऊँ
    विरह में गीत श्रृंगार के गाऊँ
    निर्जन को घर बनाऊँ
    सेज स्वप्न से सजा
    पीर से पार मैं
    Read More

    आशाओ के दीप जलाऊँ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    गीत प्रेम के गाऊँ

    • Edited 2 years ago
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    • 127
    • 2 Mins Read

    मैं गीत प्रेम के गाऊँ
    आशाओ के दीप जलाऊँ
    गीत श्रृंगार के गाऊँ
    निर्जन वन को
    सुंदर उपवन बनाऊँ
    मैं गीत प्रेम के गाऊँ
    स्वप्न से सेज सजा
    पार मैं पीर से पाऊँ
    शब्दों के फूल बिखरा
    मैं जीवन सबका महकाऊँ
    Read More

    गीत प्रेम  के गाऊँ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ख्वाइशें

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 117
    • 4 Mins Read

    मैंअंधेरी सी रात
    जुगनू से तुम
    देख तुमको तिमिर में
    मैं श्यामा से हरी हो गयी |
    सोई हुई थी अनमनी सी
    देख तेरी हरित आभा
    उड़ने को पर फैला
    मैं अंगड़ाई ले जाग खड़ी हो गयी |
    जी करता तुम संग
    थोड़ी आँख मिचोली खेलूँ
    कुछ
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    ख्वाइशें,<span>अतुकांत कविता</span>
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    लेखआलेख

    सोच रही हूँ

    • Edited 2 years ago
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    • 140
    • 3 Mins Read

    सोच रही हूँ आज दिल की बात बता दूँ
    हर इक तस्वीर आपकी बड़ी खास है, जता दूँ...
    महक अजब सी, खनक गजब सी इनमें
    सरगम सी खुमारी, बड़ी बेशुमारी इनमें
    बता ही दूँ आज कि बातें बहुत सी दिल की करने को तस्वीर में नये नये
    Read More

    सोच रही हूँ,<span>आलेख</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    देखो घड़ी क्या बोल रही...

    • Edited 2 years ago
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    • 118
    • 4 Mins Read

    धुरी मेरी
    परिधि तुम्हारी
    टिक टिक करती
    घड़ी ये हमारी
    टंग टंग करता हलचल
    तूर्यनाद घंटे का |
    मिनट तुम्हारे
    घंटे के आगाज़ तुम्हारे
    पल पल तुम संग चलती
    बस तुमसे मिलने को आतुर मेरी जिंदगी |
    मैंने अब समझी
    Read More

      देखो घड़ी क्या बोल रही...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    माँ शारदे वरदान दे |

    • Edited 2 years ago
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    • 87
    • 1 Mins Read

    हे माँ शारदे
    मन की धरा ये हिल रही
    इसमे उर्जा के प्राण दे |
    सोई शक्ति को नवचेतना का अभिज्ञान दे |
    सज्ञानता की धुरी पे व्यग्र मन को डाल दे |
    मंथन से निकले जो कल्पतरू परिजात दे |
    हे माँ शारदे
    वरदान दे |

     माँ शारदे वरदान दे |,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    बस तू ही तू

    • Edited 2 years ago
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    • 111
    • 1 Mins Read

    सहज़ हैं जीवन तू भॅवर मैं क्यूँ
    निर्मल मन तो उलझन क्यूँ
    झरना बन बस बहता जा,
    मन गागर में मंथन क्यूँ
    इस दिल में तुझ बिन कौन समाये,
    मेरे मन बस तू ही तू

     बस  तू ही तू,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    दिल की किताब

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 125
    • 2 Mins Read

    जिसको दी दिल की किताब
    वो कागज की कश्ती दे, मुझे हाथो में,
    मेरे अश्क़ बहा गया...
    ओ जाते हुए मुसाफिर
    तेरा शुक्रिया
    ये जो मिट्टी पड़ी थी बरसो से कागज पे यूँ
    देखो अश्को से मेरे, वो इक फूल खिला गया
    लो हमने
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    दिल की किताब,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    घरोंदा

    • Edited 2 years ago
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    • 65
    • 3 Mins Read

    एक वृक्ष
    देखा पक्षी ने घना
    और घरोंदा बना लिया
    और क्या देखता
    देखा तो था बहुत...
    सूखी बावड़ी,
    सूखी डाली, सूखे तने
    तय किया बहुत
    मरुथल का लम्बा सफर
    थक चुका बड़ा , मन पपीहा
    बूँद तो दूर, छाँव तलक नहीं
    अब जो
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    घरोंदा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    स्वप्न लहरिया

    • Edited 2 years ago
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    • 78
    • 1 Mins Read

    नैना मुदु पाऊँ आज मेरी माँ के तन लिपट रहा हैं चन्दन
    लाली, बाली, काजल, कुसुमा महक रहा घर आँगन
    बड़ी सी बिंदिआ तिलक लगाई , बाज उठा मन का मृदंग
    डाली माँ ने झीनी झीनी स्वप्न लहरिया, भीग रहा मेरा तन मन

    स्वप्न लहरिया,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    सखा संग संगिनी

    • Edited 2 years ago
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    • 70
    • 1 Mins Read

    तरुवर संग जैसे पत्र और पंखुड़ी
    बयार संग सुगंध बहे बन दंभनि
    नाचे मन राधा कृष्णा सा हो भाव भंगी
    पूनम ये अलबेली हुई मिली सखा संग संगिनी

    सखा संग संगिनी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    देख दरस

    • Edited 2 years ago
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     देख दरस,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    रूह की आँच…

    • Edited 2 years ago
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    • 60
    • 2 Mins Read

    गीली मिट्टी तप के थोड़ा जरूर दरकती है
    पर अच्छे से आकार मे भी तो पकती है
    मीठी नदिया समंदर में थक के मिलती है
    पर मैदानो को हरियाली से भी तो भरती है
    बूढी माँ के माथे पे आज लकीरें गहरी दिखती हैं
    जवा चेहरो
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    रूह की आँच…,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    बन फकीरा

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 69
    • 4 Mins Read

    वो डरता था बचपन में, एक कदम बढ़ने से, गिरने से, सम्भलने से
    पर बजाता था तालिया, देख आसमां में उड़ती पतंगों को पेच लड़ाते हुए
    तूफां न आ जाये भावनाओ के दरिया में , इस डर से, दरिया को उसने बहने न दिया
    कर लिया
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    बन फकीरा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    कोशिश

    • Edited 2 years ago
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    • 72
    • 4 Mins Read

    रोशनी की आस मे एक कोपल कब से थी सिमटी पड़ी
    और पेडो के पीछे छिप, खेल रहा था सूरज अठखेली बड़ा
    देख नीचे पड़े कुछ पत्ते जो थे कुछ सूखे कुछ मुरझाए
    जिन पर पड़ी ना सूरज की थोड़ी सी भी रोशन चह्टा
    जिन्हे देख
    Read More

    कोशिश,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    थपकी

    • Edited 2 years ago
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    • 70
    • 1 Mins Read

    उसका मुझे तब तक सुनते जाना
    जब तक मैं खुद की ना हो जाऊ
    और फिर देर तलक बोलते चले जाना
    जब तक मैं बातों की थपकी से सो ना जाऊ

    थपकी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    माटी हूँ मै,

    • Edited 2 years ago
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    • 72
    • 1 Mins Read

    माटी हूँ मै,
    दरिया बहता है मुझमे
    और अंकुरित नित नयी सोच से
    बनता गया देखो सुन्दर
    मेरा मन, एक उपवन

    माटी हूँ मै,,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    टूटी मचान

    • Edited 2 years ago
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    • 56
    • 2 Mins Read

    कभी मै जिद बनू तुम्हारी,
    और तुम मेरी पहचान हो
    पर आँख का बना आँसू,
    था कभी चेहरे की मुस्कान वो
    दिल को मिलती थी जिससे राहत,
    आज बस गले में अटकती सी जान हों
    दिल का था जो सबब वो प्यार
    आज जैसे कोई टूटी मचान
    Read More

    टूटी मचान,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    पंछी

    • Edited 2 years ago
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    • 53
    • 4 Mins Read

    आज फिर पंछी सा उड़ने को दिल चाहता है।
    इन मस्त बहारों में तुमसे मिलने को दिल चाहता है
    पर ज़माने से अब तक हमने ये जाना है कि
    कयामत से गुजरा हर इक का फ़साना है

    फिर भी ये घटाए देख बेताब दिल दीवाना है
    तुम्हरी
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    पंछी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    सूखे पत्ते

    • Edited 2 years ago
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    • 75
    • 3 Mins Read

    वो अनदेखा कर पत्तो को, फूलो के लिए हर पल मरता रहा
    पत्तों को न सहला, पेड़ो की जड़े मजबूत करता रहा
    पत्तो की छाँव में बैठ, करता रहा फूलो के खिलने का इंतज़ार
    पत्तों को न मिला उसका प्यार, न मिली उसके प्यार की
    Read More

    सूखे पत्ते ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तितली और भवरा

    • Edited 2 years ago
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    • 69
    • 3 Mins Read

    एक तितली की तरह बागों में उड़ा करती थी
    अपने मधुर स्पर्श से फूलो को बढ़ाया करती थी
    तन्हाइयो में भी सदा मुस्कराया करती थी
    तभी एक भवरा बाग़ में मँडराने लगा
    अपने क्रन्दन से विष की लहर भरने लगा
    वो भवरा उन
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    तितली और भवरा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    अतुकांत कविता

    कैसे

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 41
    • 3 Mins Read

    कैसे
    खूबसूरती से
    लिखते हो
    दर्द अपने
    कैसे
    तेरी ये मुस्कराहट
    भी रुला जाती है
    कैसे
    अश्कों में
    पिरोते हो
    आशा के मोती
    कैसे
    पथराई सी आँखे
    कहती है
    काश
    जो तुम मेरी होती
    कैसे
    लब सिले
    ऐसे
    जैसे शाम
    अकेली
    अँधेरी
    Read More

    कैसे,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ख्वाब

    • Edited 2 years ago
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    • 58
    • 1 Mins Read

    इन आँखों में
    उम्मीद नहीं अब
    खुद के ख्वाब जगाये हैं...
    आँखे को दे सुकून
    हम दिल में वो
    अगन जलाये हैं

    ख्वाब,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    बेबस माँ

    • Edited 2 years ago
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    • 52
    • 2 Mins Read

    मैं जानती हूँ
    ऐसी एक बेबस माँ को
    जो पंख दे तो सकती हैं
    पर कहती है बेटी तुझे
    मैं उड़ा नही सकती
    मैं जानती हूँ
    ऐसी एक बेबस माँ को
    जो पायल दिला तो सकती है
    पर कहती है बेटी तुझे
    मैं पहना नही सकती
    मैं जानती
    Read More

    बेबस  माँ  ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मन की बेड़िया

    • Edited 2 years ago
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    • 41
    • 2 Mins Read

    तू खोल मन की बेड़िया
    तू सत से प्रज्वलित कर तिमिर
    तू ना शंकित हो कदाचित्
    तू स्वयं कर अपने लक्ष्य निर्धारित
    बंद कर अंतर्द्वंद, विषमताऐ कर खँड-खँड
    सम्भावनाऐ हैं अपार, चीर कर बाधाओं के द्वार
    तू स्वयं
    Read More

    मन की बेड़िया,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    जिंदगी सी खास

    • Edited 2 years ago
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    • 52
    • 1 Mins Read

    बूँद, सांस
    और तू
    जिंदगी थमी
    तो बहुत
    पर तब भी
    जिंदगी में
    कुछ कमी
    भी नहीं l
    कुछ चीजें
    साथ में नहीं
    अहसास में
    पास होती हैँ l
    जिंदगी में
    जिंदगी सी
    खास होती है

    जिंदगी सी खास,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ये बातें

    • Edited 2 years ago
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    • 52
    • 1 Mins Read

    कान्हा!
    ये बातें
    राग द्वेष की l
    ये बातें
    काम योग मोक्ष की
    सब बड़ी ही नीरस l
    बेकल हृदय की पीर
    बन होठों पें आऊं l
    मैं बस सबमें
    प्रेम रस भर जाऊँ l
    स्वरलाहरियों सा
    साँसों में बस जाऊँ

    ये बातें ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    इबादत

    • Edited 2 years ago
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    • 102
    • 3 Mins Read

    ये राहें प्यार की
    थोडी टेढ़ी~मेढ़ी
    ये नैन कटोरी
    कह रही कहानी
    रात की खुमारी की
    ये लबों की हसीं
    चुप रहकर
    सबकुछ कह जाती
    चेहरे पें आती इक तपिश
    को पोरो की नर्महाट
    दे रही अब्र सी ठंडक
    ये गेसू गाल पें
    कह
    Read More

    इबादत,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    झरने प्रीत के

    • Edited 2 years ago
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    • 71
    • 1 Mins Read

    झर झर झर रहेे झरने प्रीत के
    फिर भी ना रहेे ये नयन रीते रे
    तुम जो समाये हों, मेरे घर आये हों
    पथराई अंखिया को बड़ी नमी मिल रही है
    मेरे पाओं को तेरे हथेलियों की ज़मीं मिल रही है

    झरने प्रीत के,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    माधो

    • Edited 2 years ago
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    • 51
    • 1 Mins Read

    माधो तेरा यह भोलापन, यह सादगी
    देती है जीवन को इक नयी रवानगी
    तुम प्रेम किसी से करते कंहाँ कान्हा
    मुग्ध कर देती है भोरी चितवन तुम्हारी
    गिरधारी! मैं हारी, तुझपे ये दिल वारी

    माधो,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    स्वरलहरी

    • Edited 2 years ago
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    • 60
    • 2 Mins Read

    तेरे ये दो नयन, जिव्या और अधर
    सब रहें कितना ही मौन भला
    पर तेरे हाथों की वेणु और
    ये चंचल और चपल
    अष्टसखी सी उंगलियां
    जो हों आतुर और अधीर
    ना करती तनिक भी तो विश्राम l
    मिलने को आतुर ये व्याकुल
    मन की लहरियां
    Read More

    स्वरलहरी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    पाखुरिया

    • Edited 2 years ago
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    • 45
    • 4 Mins Read

    उनके शीतल सरस सुमधुर अधर
    उनके चंचल चपल नयन के कटाक्ष
    उनके पावन पंकज पद की पाखुरिया
    उनके आशीष को उठते हस्त विशाल
    उनके कंठन को चरणामृत की प्यास
    नैनन को बस पिया मिलन की आस
    उनकी थपथापती हथेलियों से
    Read More

    पाखुरिया,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    संगीत साधना है

    • Edited 2 years ago
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    • 58
    • 2 Mins Read

    संगीत साधना है
    इसमें भावनाये ही नहीं
    बस भाव हैँ
    संगीत आराधना है
    इसमें प्रस्तुति नहीं
    बस स्तुति है
    संगीत आगाज है
    इसमें शुष्क शब्द नहीं
    बस आत्मा की आवाज़ है
    संगीत योग है
    इसमें मन: शांति ध्यान ही नहीं
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    संगीत साधना है,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता, भजन

    हे माँ शारदे

    • Edited 2 years ago
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    • 73
    • 3 Mins Read

    हे माँ शारदे वरदान दो
    हे माँ राधिके वरदान दो
    मुझमें से ये "मैं" हटा दो
    मेरे अंदर पड़ा ये "शव" जाला दो
    कि जब तक हों स्पंदन
    ऊर्जा का ऐसा ओज दो
    हे माँ शारदे! जल रहीं धरा
    संगीत-धारा से मुझमें
    नये उज्वल प्राण
    Read More

    हे माँ शारदे,<span>अतुकांत कविता</span>, <span>भजन</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    आते होंगे रवि अभी...

    • Edited 2 years ago
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    • 58
    • 7 Mins Read

    आते होंगे रवि अभी...

    थकी
    उनींदी...
    पथराई आँखे ले ...
    नींद की गोद में
    रोज उतरती-उबरती
    इंतज़ार में रवि के
    बैठी रात की रानी

    आँखों को सुन्दर सपनो
    से दिन-भर भर ना सकी
    नैन रीते रहें कब से सांझ तलक
    आलिंगन भोर
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    आते होंगे रवि अभी...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    एक दिशा

    • Edited 2 years ago
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    • 74
    • 3 Mins Read

    घर का एक दीपक बुझ गया
    दूसरा प्रदीप था जा अलग बसा
    लक्ष्मी अनब्याही घर में थीं
    धनलक्ष्मी रूठी बन में थीं
    मकान डह रहा था
    दीवारों को हाथों की जरुरत थी
    मा बाप को सहारे की जरुरत थी
    वो टूट रहे थे और
    रह रहे
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    एक दिशा ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तेरी बातो में

    • Edited 2 years ago
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    • 78
    • 1 Mins Read

    तेरी बातो में
    अब और ना आऊ
    मैं रूठी बैठी
    यहाँ,
    अब ना तोय
    और रिझाऊ
    मोसे प्यारी,
    गैया और ग्वालिन
    सारी
    उस पे ये बंसी
    होठन पे जो धारी
    दोधारी !!!

    तेरी बातो में,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    क्या खोया क्या पाया?

    • Edited 2 years ago
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    • 55
    • 1 Mins Read

    गोरी राधा, श्यामल कान्हा
    बाँटे सुख- दुख, आधा-आधा
    निर्मल ह्रदय, सुकोमल काया
    जीवन छनिक धूप, छनिक छाया
    काहे सोचें क्या खोया क्या पाया?

     क्या खोया क्या पाया?,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    कान्हा

    • Edited 2 years ago
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    • 72
    • 2 Mins Read

    ओ रे कान्हा ,
    अब न मोहे और सजा दे
    माथे पे मोरे बिंदिया लगाय दे l
    ओ रे कान्हा ,
    आंखन में कlरो कजरा लगाय के
    बालो में मोरे गजरा सजाय दे
    प्रीत की चूनर मोरे अंग उढाय दे
    ओ रे कान्हा ,
    तनिक मुरली बजाय के
    रास रचाय
    Read More

     कान्हा ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    प्रीत की चूनर

    • Edited 2 years ago
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    • 49
    • 2 Mins Read

    प्रीत की चूनर
    जब से ओढ़ी
    लगे तुझसा न कोई भोला
    न मुझ सी कोई भोली

    भीगी मोरी अंगिया
    भीगी मोरी चोली
    तुझ संग कान्हा
    प्रेम रंग क़ी होली खेली

    इन कानन में मुरली मनोहर, सीरत लई बसाय
    नयन कमल में नटवर नlगर , दूजो
    Read More

    प्रीत की चूनर,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    बन के परिंदा

    • Edited 2 years ago
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    • 92
    • 2 Mins Read

    तुझसे बस इतना ही कहना है
    हर पल तेरे प्यार में रहना है
    साँसों में अपनी महकने दे
    मुझे बन के परिंदा
    तू साथ अपने चहकने दे
    तू थाम ले अपनी बाहो में,
    एक बार मुझे बहकने दे
    तेरा प्यार खुली जटाओ सा..
    मुझे गंगा
    Read More

     बन के परिंदा ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    दरस को प्यासी

    • Edited 2 years ago
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    • 73
    • 2 Mins Read

    महके बगिया
    राधा बन
    मन मोरा जले
    बाट देखे
    मोरे नयना,
    कान्हा तू काहे
    मोसे ना मिले...
    बेबस बेचारी,
    राधा तिहारी
    तोह बिन
    हर
    पल छिन
    भारी
    दरस को प्यासी
    राधारानी
    अब तो
    आ जाओ
    कृष्ण मुरारी


    जब जब कान्हा
    तू टेर
    Read More

    दरस को प्यासी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    निधिबन

    • Edited 2 years ago
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    • 86
    • 1 Mins Read

    दुखी मन को तू नए रूप दिखाए
    तूझ संग कान्हा मोरा दिल हरषाए
    केशन कूँ तू जो हाथ फिराए,
    अखियन मोरे जल भर आये
    ये मन चञ्चल , निधिबन बन जाये

    निधिबन,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मन मयूरा

    • Edited 2 years ago
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    • 51
    • 1 Mins Read

    खुद से खुद को तार लू
    तुझसे तुझको माँग कर
    नाच उठे ये मन मयूरा
    मन से मन को मार लू
    मन से तुझको मान कर

    मन मयूरा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    सुविचारअनमोल विचार, भक्तिमय विचार

    फुलेरा दूज

    • Edited 2 years ago
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    • 100
    • 12 Mins Read

    राधा का जो नाम पुकारा
    वो पाया जो सब कुछ हारा
    मुझ संग ऐसे जैसे मेरा साया
    माँ देती हैं अपनी शीतल छाया


    फुलेरा दूज के बारे में छाया जी ने जब बताया तो मन को शान्ति और भक्ति को एक नया मार्ग मिळा
    फुलेरा दौज
    Read More

    फुलेरा दूज ,<span>अनमोल विचार</span>, <span>भक्तिमय विचार</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    मनके

    • Edited 2 years ago
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    • 66
    • 1 Mins Read

    मनके
    पिरो के प्रीत के
    उर डाली
    श्रद्धा की डोरी l
    हुई नीर सी निरंग
    मैं कान्हा
    खेली जो तेरे संग
    हरि रंग की होली
    उर: ह्रदय
    नीर : पानी
    निरंग : शुद्ध

    मनके,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    राधे ...राह दे

    • Edited 2 years ago
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    • 60
    • 1 Mins Read

    पानी पानी को कैसे मारे
    मै से मे बतला दे कैसे हारे
    राधे तूही अब मोहे राह दे
    मोरा मन अब तोहि सु साधे
    एकै साधे सब सधै -रहीम
    एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
    ‘रहिमन’ मूलहि सींचिबो, फूलहि फलहि अघाय॥

    राधे ...राह दे,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ओ हरी

    • Edited 2 years ago
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    • 62
    • 1 Mins Read

    सुध़बुध खोऊ,
    तुझको ध्याऊ
    बंद अखियन में
    तोहि कू पाऊ
    देख तोय
    मंद मंद मुस्काऊ
    ओ हरी, होइ हरी
    बस तोहरी
    होत चली जाऊ

    ओ हरी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    सुविचारअनमोल विचार, भक्तिमय विचार, प्रेरक विचार

    सुखद अनुभव

    • Edited 2 years ago
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    • 73
    • 17 Mins Read

    ललक राधा की
    खाए हिलोरे
    चाहना माधव की
    देख दिल डोले

    वृन्दावन जाने की तीव्र इच्छा कई दिनों से हो रही है।।।पर जाना नहीं हो पा राहा।।आज सुबह कान्हा जी के ध्यान के बाद जब झपकी लागी।।।तोः सपने में वृन्दावन
    Read More

    सुखद अनुभव ,<span>अनमोल विचार</span>, <span>भक्तिमय विचार</span>, <span>प्रेरक विचार</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    नयनपथगामी

    • Edited 2 years ago
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    • 63
    • 2 Mins Read

    कान्हा तेरी आँखों में
    संसार मेरा बस जाए
    नैनो के रास्ते उतर
    दिल में तू बस जाए
    तेरा नाम जपे मेरी साँसे
    अब कुछ और न मुझे भाये
    तुझ संग जीवन की डोर बंधे
    कुछ और न अब ये दिल चाहे
    जगन्नाथ स्वामी नयनपथगामी
    Read More

    नयनपथगामी,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    कूपमंडूक

    • Edited 2 years ago
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    • 67
    • 2 Mins Read

    मैं ना रहू बस मेरी,
    हो जा तू भी मेरा
    अकेले कब किसने
    क्या कुछ पाया?
    कूप में मंडूक जैसा
    बस पाय इतराय
    अपना सुर
    अपनी ही काया

    नासमझा
    क्या खोया
    क्या पाया I

    कूप में मंडूक निहारे बस अपना ही प्रतिरूप I
    तुझ संग
    Read More

    कूपमंडूक,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता, भजन, गीत

    ओ री सखी

    • Edited 2 years ago
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    • 79
    • 1 Mins Read

    ओ री सखी
    पिय को कैसे रिझाऊं
    अगन प्रीत की
    ओ री सखी
    कैसे बुझाऊं
    नैनन में पिय का ठीया,
    सोये न ये नयन दिन रैन
    जाय मिलु पिय के हिया,
    दे दे री सखी हिय चैन
    मो को अब आस पिया की,
    दिल मृग भटकत उर बेचैंन

    ओ री सखी,<span>अतुकांत कविता</span>, <span>भजन</span>, <span>गीत</span>
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    अतुकांत कविता

    जीत जा...

    • Edited 2 years ago
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    • 46
    • 2 Mins Read

    चल आ आज
    हार को स्वीकार कर

    छोड न चल
    मत्स्य सा
    खुद को कोसना

    देख न , नज़र उठा
    है दरिया तो कया
    ये भी आसमान सा
    ही तो है बडा

    उड ना सके
    जो तो कया

    चल अब बहुत हुआ
    छोड़ना, सोचना

    जीवन तैर कर
    तो पार कर

    हां चल जीत जा
    खुद
    Read More

    जीत जा...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    गोकुल बुला

    • Edited 2 years ago
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    • 63
    • 1 Mins Read

    ओ रे कन्हिया!
    फैली है
    चहु ओर
    सुन्दर छटा
    बासुरी बजा
    गोकुल बुला I

    बन सखा
    मुझको लुभा
    गैया बना
    चरणो का
    अपने अमृत
    चटा l

    गोकुल बुला ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    श्रीप्रिया

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 55
    • 1 Mins Read

    मस्तक मेरे
    सुशोभित तेरी
    ये कोमल
    पंकज पद
    पाखुरिया |
    जिया उर
    तू आ बसा
    हुई मैं तेरी
    "श्रीप्रिया" |

    श्रीप्रिया,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    समर्पिता

    • Edited 2 years ago
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    • 81
    • 1 Mins Read

    राधा सी
    होऊ समर्पिता
    झलके अखियन
    प्रेम, भक्ति और सम्मान
    गुनो के गहने मान बढ़ाये
    हो प्रेम भरी मेरी मुस्कान
    चंचल-चपल करुणामयी राधिके
    तुझ सी होऊ, मैं तेरी संतान
    हे माँ ! दो ये वरदान |

    समर्पिता,<span>अतुकांत कविता</span>
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    अतुकांत कविता

    जब जब जीवन में...

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 28
    • 2 Mins Read

    जब जब
    जीवन में
    काली अंधियारी
    रात होगी
    कानो में तेरी
    मीठी बानी,
    दिल में
    इक प्यास
    होगी
    तेरी प्यारी छबि
    कठिन छनो में
    हरपल मेरे
    साथ होगी
    कट जाएगी
    काली लम्बी रात
    और स्वर्णीम
    नयी सुबह
    तुझ संग
    जाग होगी
    Read More

    जब जब जीवन में...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तुझको देखू तुझको पाऊ

    • Edited 2 years ago
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    • 61
    • 2 Mins Read

    तोरे बिरह
    को ना अब
    और गाऊ

    ओ कान्हा
    मैं तेरी
    राधा बन जाऊ

    बंद करू
    जो अंखिया
    तुझको देखू
    तुझको पाऊ

    ओ कान्हा
    मैं तेरी
    राधा बन जाऊ

    अधरो के तेरे मीठे
    बोल बन जाऊ
    जो तू रूठे
    तुझे और मनाऊ

    ओ कान्हा
    मैं तेरी
    राधा
    Read More

    तुझको देखू तुझको पाऊ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    कहाँ गये वो दिन कान्हा...

    • Edited 2 years ago
    Read Now
    • 51
    • 2 Mins Read

    मैं बैठी थकी हारी
    तुम बंसी बजाते थे
    दिन भर की थकन
    कान्हा तुम ही तो मिटाते थे
    लड़खड़ाते थे जब कदम मेरे,
    तुम कदंब का पेड़ बन जाते थे
    कॅं|टो भरी राहो पे
    कान्हा तुम ही तो पुष्प बिछाते थे
    रूठती थी जो मैं
    Read More

    कहाँ गये वो दिन कान्हा...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    अतुकांत कविता

    चरणामृत

    • Edited 2 years ago
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    • 31
    • 1 Mins Read

    राधा के चरणो
    को करकमलो
    में लिया

    राधा ने भी तो
    कान्हा के
    जीवन हित
    स्व जीवन
    का तनिक भी
    भय ना किया

    परम भक्त,
    राधा प्यारी ने
    अटूट प्रेम , निष्ठा ,
    और तत्परता से
    पिय को
    चरणामृत दिया...

    चरणामृत,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    ओ कान्हा

    • Edited 2 years ago
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    • 101
    • 2 Mins Read

    ओ कान्हा!
    ये मन-मृग मेरा
    क्यू डोल रहा?
    तेरी आँखो से
    क्या कुछ
    बोल रहा?
    तेरी कस्तूरी
    ही तो
    ये मृग-मन
    वन वन
    हर पल
    हर छन
    ढूंढ रहा I
    ओ कान्हा!
    ये मनमयूरा
    अब
    अंदर ही अंदर
    टूट रहा...
    राधा बन
    तुझसे
    रूठ रहा...
    जीवन माटी
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    ओ कान्हा,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    जूगनू बनू या कि जोगन

    • Edited 2 years ago
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    • 97
    • 2 Mins Read

    जूगनू बनू
    या कि
    जोगन प्यारी I
    दीया बनू
    या कि
    बाती न्यारी I
    माँ की धीया
    या कि
    पिया की दुलारी I
    अब ये जिम्मेवारी
    मैने हरि चरणन
    में डारी I
    ओ रे बनवारी!
    अंग संग
    तुझपे मै ये
    मन वारी I
    सुन लीजो
    इतनी सी
    अरज हमारी
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    जूगनू बनू या कि जोगन,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    न्यारे...

    • Edited 2 years ago
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    • 90
    • 3 Mins Read

    न्यारे...
    सबसे प्यारे
    हे माँ
    हम बालक हैं तिहारे
    राह को संवार दे
    प्यार और दुलार दे
    किस्मत को चमकार दे
    नयी शक्ति का संचार दे
    न्यारे...
    सबसे प्यारे
    हे माँ
    हम बालक हैं तिहारे
    आँखो में अरमान ले
    हर काज को
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    न्यारे...  ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता, गीत

    रे मन,

    • Edited 2 years ago
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    • 103
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    रे मन, पंछी बन
    ले चल वहाँ
    श्यामल जमुना
    बहती जहाँ
    अंतर्मन पावन
    करे जहाँ
    नीलाम्बर सा
    चमकता निर्मल
    अमृत जल वहाँ
    पुलकित करे
    तन मन
    मनोहारी कदंबो
    से झलके वहाँ
    शीतल चंद्रमा
    रे मन
    ले चल मुझे,
    मेरी राधा जहाँ
    नाच
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    रे मन,,<span>अतुकांत कविता</span>, <span>गीत</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    नीलाम्बरी काया

    • Edited 2 years ago
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    • 75
    • 2 Mins Read

    देख तेरी नीलाम्बरी काया
    मन पंछी बन उड़ आई
    आखन में चुभते शूलन सू
    मन ठण्डक जो छायी
    ललचायी भरमाई आँखे
    थोड़ा सकुचाई शर्माई
    फिर श्रद्धा भर आखन में
    मैं अपने नीड में सुस्ताने आई
    तुझ में अपना घर पाके कान्हा
    ये
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    नीलाम्बरी काया,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    रश्मिरथ

    • Edited 2 years ago
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    रश्मिरथ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    गीली मिट्टी सी

    • Edited 2 years ago
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    • 81
    • 1 Mins Read

    गीली मिट्टी सी होने लगी हूँ नम
    तेरे￰ प्यार की सोंधी सी सुगंध।
    इस माटी की मूरत बना दूँ
    पथराई आखो पे हलके से फिरा दूँ
    बेचैन रूह का बिस्तर बना दूँ
    या कुम्हार संग मिल ढेरो बर्तन बना दूँ l

    गीली मिट्टी सी ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    भजन, लयबद्ध कविता, गीत

    अरे ओ रे कान्हा

    • Edited 2 years ago
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    • 73
    • 3 Mins Read

    अरे ओ रे कान्हा
    मुझको नहीं अब चैना
    आके बसो मोरे नैना
    अरे ओ रे कान्हा
    मुझको नहीं अब चैना
    निर्मल हृदय,
    निश्छल तेरे दो नैना
    मुझको अब तुझ मैं रहना
    ये ही जपू दिन रैना
    अरे ओ रे कान्हा
    मुझको नहीं अब चैना
    तू
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    अरे ओ रे कान्हा,<span>भजन</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>, <span>गीत</span>
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    अतुकांत कविता

    प्यासी अंखिया

    • Edited 2 years ago
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    • 64
    • 1 Mins Read

    प्यासी अंखिया
    भरी मोरी
    देख
    सुँदर छब
    तोरी l
    तड़पत मछली
    जल मे दयी
    ज्यों डाल l
    अंखियां
    भयी निहाल ll

    प्यासी अंखिया ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    अतुकांत कविता

    तू इस पार मैं उस पार

    • Edited 2 years ago
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    • 89
    • 1 Mins Read

    समय की बड़ी पैनी हुई है धार
    तू इस पार मैं उस पार

    पलक बने पाषाण़
    अश्रु की अनवरत बहती है धार
    तू इस पार मैं उस पार

    नदी का ऐसा हुआ विस्तार
    किनारो का नही दूर तक कोई आसार
    तू इस पार मैं उस पार

    तू इस पार मैं उस पार ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कहानीसामाजिक, संस्मरण

    मधुबन

    • Edited 2 years ago
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    • 289
    • 30 Mins Read

    मधुबन

    आज वृंदा की तबीयत सुबह से ही कुछ ठीक सी नहीं थी l शरीर में थोड़ा सा भारीपन महसूस हो रहा था l ऐसा लगता है मानो कुछ अंदर से कुचल सा गया है...

    उस दिन घर पर सुनी बात से अंदर जैसे बहुत कुछ बिखर सा गया
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    मधुबन,<span>सामाजिक</span>, <span>संस्मरण</span>
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    कविताअतुकांत कविता, लयबद्ध कविता, बाल कविता

    चंदा

    • Edited 2 years ago
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    • 57
    • 1 Mins Read

    चंदा के रथ पे आज
    सपनो की सवारी हैँ l
    एक पगली देखों कैसे
    तुम पे दिल हारी है l
    मिलने को बेक़रारी
    देखों कैसी हमारी हैँ l
    चंदा के रथ पे आज
    सपनो की सवारी है l

    चंदा ,<span>अतुकांत कविता</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>, <span>बाल कविता</span>
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    कहानीप्रेम कहानियाँ, एकांकी, लघुकथा

    मन्ना

    • Edited 2 years ago
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    • 88
    • 3 Mins Read

    मन्ना
    आज तुम्हारा मन्ना को प्यार से पुचकार के गले लगाना, हॅसना, खिलखिलाना, घर के अंदर बुला, दौड़ते हुए अपना घर-आँगन दिखाना ...ये दृश्य देखने में सबको भले ही रोचक और मनोहारी सा लगा , तुम्हें खुश देख एक
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    मन्ना ,<span>प्रेम कहानियाँ</span>, <span>एकांकी</span>, <span>लघुकथा</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    तुम मिले ऐसे...

    • Edited 2 years ago
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    • 82
    • 2 Mins Read

    तुम मिले ऐसे
    मोती मिले जैसे
    सीपी में l
    घनेरे वन में जैसे
    सूरज की किरण l
    रेगिस्तान में जैसे
    ठंडी सी पवन l
    समंदर में जैसे
    मणि कोस्तुभ की l
    आसमान में जैसे
    ध्रुव तारा अटल l
    तोते की जैसी
    तेरी "मेरी" ही रटन
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     तुम मिले ऐसे...,<span>अतुकांत कविता</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    आज दिल बदला बदला सा

    • Edited 2 years ago
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    • 69
    • 2 Mins Read

    आज दिल बदला बदला सा हैँ
    जैसे आसमां पर बदल रहे मेघ है...

    ये दिल तन्हा संग ढूंढ़ता सा
    पल मे हॅसता सा, पल में रोता सा
    कुछ ढूंढ़ता सा, कुछ छोड़ता सा
    कुछ खुश, तो कुछ गम लिए l

    कुछ हरा सा, कुछ भरा भरा सा
    कुछ गुनगानाता
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    आज दिल बदला बदला सा,<span>अतुकांत कविता</span>
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