कवितागीत
सावन गीत
सावन की रुनझुन, ये बारिश का पानी।
सागर में डूबे ज्यों नदिया दीवानी ।
लहरों पे लिखी है दिल की कहानी।
तू मेरा मोहन मैं राधा स्यानी।
भीगे है तन मन हवा में रवानी।
सावन की रुनझुन...
मनमीत मुझको झूला झुला दे।
अम्बुआ की डार पे हिंडोला गड़ा दे।
भरूं पींग तेरे संग में सजनवा,
प्रेम राग मल्हार कोई सुना दे।
पवन संग लहराये आँचल भी धानी।
सावन की रुनझुन......
नरेन्द्र सिंह नीहार
नई दिल्ली
बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय
हार्दिक आभार और अभिनन्दन ।