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एक बार फिर - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कहानीसस्पेंस और थ्रिलर

एक बार फिर

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एक बार फिर
यह रहस्यमय बैक्टीरिया लैबोरेट्री से निकल भागा है।खतरा तो यह है कि यह कब्रों से मृतकों को उठा रहा है। यह मुर्दों को उठाकर करना क्या चाहता है?
"उठो, उठो अब तुम्हारा यहां से निकलकर मौज- मस्ती करने का समय आ गया है। अब तुम्हें रोकने- टोकने वाला कोई नहीं है,आओ ,मेरे साथ।
तुम कब्र में क्यों सो रहे थे?अच्छा, तुम्हारे ही तो हाथों में हथकड़ियां लगी थीं! तुमने एक निर्दोष बच्ची का खून किया था?उससे पहले उसका शीलभंग? इस जुर्म के एवज में तुम्हारा दंड यह है कि तुम्हारी शक्ल भयावनी रहेगी। मगर तुम हमारी नृत्यमंडली में शामिल हो सकते हो।
और ..तुम.. फांसी के फंदे से छूटे थे तो फिर कब्र में कैसे? अच्छा, तुम्हारी अंतरात्मा ने तुम्हें धिक्कारा और तुमने खुद ही अपने जीवन का अंत कर लिया। यह भी ठीक किया। अकाल मरने वालों को जिंदा करना ही मेरा लक्ष्य है। देखो,तुम सब मेरे साथ आ सकते हो। हम बहुत मौज- मस्ती के रास्ते पर चल रहे हैं, मगर मौज- मस्ती का रास्ता ऐसे ही नहीं मिलता। पहले तुम्हें कठिन डगर पार करनी होगी।आगे हमें एक विशाल रेगिस्तान मिलेगा।तुम थक जाओगे, मगर चलते रहोगे, रुकोगे नहीं,बैठोगे नहीं, सोओगे नहीं। सोते हुए भी तुम्हारी एक आंख हमेशा खुली रहनी चाहिए।
सावधान,अब हम उस विशाल रेगिस्तान में प्रवेश करने वाले हैं,जिसका जिक्र मैंने तुमसे अभी- अभी किया था। सावधान!
तभी वहां जोरों की रेतीली आंधी चलने लगती है धूल के ऊंचे -ऊंचे गुबार उन्हें ढक लेते हैं।लोग इधर-उधर दौड़ने लगते हैं। मानो रेत के तूफान से बचने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। तभी दूर कहीं से ऊंटों का काफिला नज़र आता है।" हम बच गए।हम बच गए।" सभी खुश हो जाते हैं। काफिला उनके पास आकर रूकता है, मगर यह क्या ? उनके मददगार नहीं हैं ये!वे उनके ऊपर अचानक धावा बोल देते हैं।वे खुद को बचाने के लिए, छूटने और भागने की कोशिश करते हैं ,मगर रेतीले रेगिस्तान में दौड़ना संभव नहीं है। और इस विनाश से उठे हुए, कमरों से उठे हुए समाज के घातक जन समूह का यहीं अंत हो जाता है।

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दादी की परी
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