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कवितानज़्म
यक़ीन मिरे हबीब का आज अगर मयस्सर नहीं तो कल मुझे हो जाएगा यक़ीनन हासिल इकदिन इस मुश्क़िल का हल मुझे © 'बशर' بشر.