कविताअन्य
***** शाम का दृश्य ****
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उड़ि चली चिड़िया रैनवसेरा,
जैसे ही शाम ने डाला डेरा l
दिन ढला सूरज हुआ मद्धिम l
चलकर अस्त हुआ जा पश्चिम ल
बिखेरी शाम नें छटा निराली l
खूंटा लौटी गौवें चर कर हरियाली l
किसान ने फुर्सत का पल पाया l
बाल गोपाल संग समय बिताया l
छूटे मुलाजिम पकड़ी घर की राह l
पहुँचे घर जल्दी एक ही चाह l
शाम प्रकृति का दृश्य विहंगम l
दिन और रात का होता संगम l