कविताभजन
नवदुर्गा माँ जगदंबा
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
चैत्र नवरात्रि नव संवत्सर,
माँ जगदंबे आयीं घर ।
🌺
माँ शैलपुत्री का रूप निराला
चहूँ ओर फैला उजियारा ।
🌺
माँ ब्रह्मचारिणी का निर्मल स्वरूप
माँ चन्द्रघण्टा लिए दिव्य रूप ।
🌺
संताप हरे माँ कुष्मांडा
स्कन्दमाता पंचम स्वरूप ।
🌺
षष्ठ रूप माँ कात्यायनी आयीं
पाप दोष सब हरने वालीं ।
🌺
अंधियारे को दूर करे जो
माँ कालरात्रि वो भव्यता लायीं।
🌺
सदा ही शुभ फल देने वाली
महागौरी निश्छल मुस्कायीं।
🌺
हर सिद्धि पूरे कर देतीं
छटा अनुपम माँ सिद्धिदात्री की।
🌺
कोटि -कोटि प्रणाम करें हम
त्राहि - त्राहि हर भक्त पुकारे ।
🌺
हे करुणामयी सुन विनय हमारी
क्रंदन करते लाल तुम्हारे ।
🌺
भीगे तो होंगे नयन तुम्हारे
ममतामयी मेरी माता भवानी।
🌺
क्षमा करो माँ भूल हमारी
रक्तबीज सा बढ़े कोरोना।
🌺
आओ इसका संहार करो माँ
संकट में है दुनिया सारी ।
🌺
तमस घनेरे हर ले जाओ
माँ, मानवता के प्राण बचाओ।।
🌺🙏 जय माता दी 🙏🌺
पल्लवी रानी
मौलिक, सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्याण, महाराष्ट्र