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हे अवधपति हे रघुनन्दन - Neeraj Mishra (Sahitya Arpan)

कविताभजन

हे अवधपति हे रघुनन्दन

  • 11
  • 3 Min Read

हे अवधपति हे रघुनन्दन
मुझको क्यू यूं तरसते हो
दे दो मुझको भी दर्शन
इतना क्यू इतराते हो

श्यामल सूरत लट घुँघराले
कौशीलया के राजदुलारे
अवध में पलना झूल रहे
या छवि को आयो मैं देखन ||
दे दो मुझको भी दर्शन
इतना क्यू इतराते हो ||
हे अवधपति हे रघुनन्दन...

माना मैं प्रिय तुलसी दास नहीं
पर चरणों का मैं दास तो हूँ
मेरे घर में पधारो सियाराम जी
देदो चरणों की सेवा का दान ||
दे दो मुझको भी दर्शन
इतना क्यू इतराते हो ||
हे अवधपति हे रघुनन्दन...

© Neeraj Mishra "Neeraj"✍️✍️

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