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Sahitya Arpan - Neeraj Mishra

कवितागजल, गीत

इस जमाने से विदा लेकर ......

  • Added 2 days ago
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  • 13
  • 3 Mins Read

आज के बाद मैं तुझे याद नहीं आऊँगा
जमाने से विद लेकर कही दूर चला जाऊंगा |

रुख बदलती हवों के संग तु भी बदल जाएगा
रिस्ता क्या तेरा मुझसे दूर जाकर भूल जाएगा |
जमाने से विद लेकर ......

मै हर उस जगह पे रहूँ
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इस जमाने से विदा लेकर ...... ,<span>गजल</span>, <span>गीत</span>
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कवितागजल

लम्हे पुराने

  • Added 5 days ago
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  • 5
  • 3 Mins Read

शेर अर्ज किया है :-
की याद नहीं मुझ को , तेरी बेबफई का वो वक्त |
जिस वक्त तूने मुझे, बर्बाद करने में कोई कसर न छोड़ी |

पुराने “ लम्हों में सिमटी जिंदगी “ मेरी
नया कुछ अब याद नहीं रहता ||

बदलते वक्त के
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लम्हे पुराने ,<span>गजल</span>
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कविताभजन

हे अवधपति हे रघुनन्दन

  • Added 1 week ago
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  • 11
  • 3 Mins Read

हे अवधपति हे रघुनन्दन
मुझको क्यू यूं तरसते हो
दे दो मुझको भी दर्शन
इतना क्यू इतराते हो

श्यामल सूरत लट घुँघराले
कौशीलया के राजदुलारे
अवध में पलना झूल रहे
या छवि को आयो मैं देखन ||
दे दो मुझको
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हे अवधपति हे रघुनन्दन ,<span>भजन</span>
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कविताभजन

महाकाल महिमा

  • Added 2 weeks ago
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  • 10
  • 3 Mins Read

कल कल बहती गंग धारा , जिन जटओं से
कंठ नीला पड़ गया हो , जहर की धाराओं से
सर्प ले रहा हो अंगड़ैया , जिस शिरोधरा पर
तांडव कर रहे महाकाल , डमरू की ताल पर
है वो महाकाल परिपूर्ण , चौंसठ कालों से
अकाल मर्यतु
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महाकाल महिमा ,<span>भजन</span>
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कविताअतुकांत कविता

हा मैं मजदूर बहुत मजबूर हूँ

  • Added 2 weeks ago
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  • 184
  • 4 Mins Read

मैं लक-लकाती भट्टी में तपकर
अपना ही खून पसीना पी कर
तैयार हुआ वो लोहा हूँ
जो पाषाण फोड़ महल गढ़े
जर -जर भवनों को तोड़
फिर नव निर्माण करे
सुख भर औरों के जीवन में
खुद का जीवन बर्बाद करे
क्या बताऊ
मैं
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हा मैं मजदूर बहुत मजबूर हूँ,<span>अतुकांत कविता</span>
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कवितानज़्म

मैं अश्क पे अश्क बहता रहा

  • Added 3 weeks ago
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  • 534
  • 3 Mins Read

नज़्म

मैं अस्क पे अस्क बहता रहा ,
वो मेरे अस्कों में आशिया बनाते रहे
मैं जख्म पे जख्म खाता रहा ,
वो मेरे जख्मों में नमक लगाते रहे ,
मैं दर्द पे दर्द सहता रहा
वो मेरे दर्द में खुशियां मानते रहे
मैं
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मैं अश्क पे अश्क बहता रहा ,<span>नज़्म</span>
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