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London is the capital city of England.
कवितागजल, गीत
आज के बाद मैं तुझे याद नहीं आऊँगा
जमाने से विद लेकर कही दूर चला जाऊंगा |
रुख बदलती हवों के संग तु भी बदल जाएगा
रिस्ता क्या तेरा मुझसे दूर जाकर भूल जाएगा |
जमाने से विद लेकर ......
मै हर उस जगह पे रहूँ
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कवितागजल
शेर अर्ज किया है :-
की याद नहीं मुझ को , तेरी बेबफई का वो वक्त |
जिस वक्त तूने मुझे, बर्बाद करने में कोई कसर न छोड़ी |
पुराने “ लम्हों में सिमटी जिंदगी “ मेरी
नया कुछ अब याद नहीं रहता ||
बदलते वक्त के
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कविताभजन
हे अवधपति हे रघुनन्दन
मुझको क्यू यूं तरसते हो
दे दो मुझको भी दर्शन
इतना क्यू इतराते हो
श्यामल सूरत लट घुँघराले
कौशीलया के राजदुलारे
अवध में पलना झूल रहे
या छवि को आयो मैं देखन ||
दे दो मुझको
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कविताभजन
कल कल बहती गंग धारा , जिन जटओं से
कंठ नीला पड़ गया हो , जहर की धाराओं से
सर्प ले रहा हो अंगड़ैया , जिस शिरोधरा पर
तांडव कर रहे महाकाल , डमरू की ताल पर
है वो महाकाल परिपूर्ण , चौंसठ कालों से
अकाल मर्यतु
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कविताअतुकांत कविता
मैं लक-लकाती भट्टी में तपकर
अपना ही खून पसीना पी कर
तैयार हुआ वो लोहा हूँ
जो पाषाण फोड़ महल गढ़े
जर -जर भवनों को तोड़
फिर नव निर्माण करे
सुख भर औरों के जीवन में
खुद का जीवन बर्बाद करे
क्या बताऊ
मैं
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कवितानज़्म
नज़्म
मैं अस्क पे अस्क बहता रहा ,
वो मेरे अस्कों में आशिया बनाते रहे
मैं जख्म पे जख्म खाता रहा ,
वो मेरे जख्मों में नमक लगाते रहे ,
मैं दर्द पे दर्द सहता रहा
वो मेरे दर्द में खुशियां मानते रहे
मैं
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