कवितागजल
शेर अर्ज किया है :-
की याद नहीं मुझ को , तेरी बेबफई का वो वक्त |
जिस वक्त तूने मुझे, बर्बाद करने में कोई कसर न छोड़ी |
पुराने “ लम्हों में सिमटी जिंदगी “ मेरी
नया कुछ अब याद नहीं रहता ||
बदलते वक्त के साथ मैं नहीं बदला
इश्क की तड़फ में खुद को जला डाला
बदल गए जो उन्हे कुछ याद नहीं रहता |
पुराने लम्हों में सिमटी जिंदगी मेरी
नया कुछ अब याद नहीं रहता ||
है कहानी पुरानी मेरे जहन में
अश्क आँखों से आए उसे सुनने में
ये दिल-ऐ-दुश्मन तेरा अक्स याद नहीं रहता ||
पुराने लम्हों में सिमटी जिंदगी मेरी
नया कुछ अब याद नहीं रहता ||
नीरज मिश्रा “ नीर “ बरही कटनी मध्य प्रदेश