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लम्हे पुराने - Neeraj Mishra (Sahitya Arpan)

कवितागजल

लम्हे पुराने

  • 44
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शेर अर्ज किया है :-
की याद नहीं मुझ को , तेरी बेबफई का वो वक्त |
जिस वक्त तूने मुझे, बर्बाद करने में कोई कसर न छोड़ी |

पुराने “ लम्हों में सिमटी जिंदगी “ मेरी
नया कुछ अब याद नहीं रहता ||

बदलते वक्त के साथ मैं नहीं बदला
इश्क की तड़फ में खुद को जला डाला
बदल गए जो उन्हे कुछ याद नहीं रहता |
पुराने लम्हों में सिमटी जिंदगी मेरी
नया कुछ अब याद नहीं रहता ||

है कहानी पुरानी मेरे जहन में
अश्क आँखों से आए उसे सुनने में
ये दिल-ऐ-दुश्मन तेरा अक्स याद नहीं रहता ||
पुराने लम्हों में सिमटी जिंदगी मेरी
नया कुछ अब याद नहीं रहता ||

नीरज मिश्रा “ नीर “ बरही कटनी मध्य प्रदेश

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