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अपना हो के न हो पल आने वाला - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

अपना हो के न हो पल आने वाला

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देखा रंग ज़माने का ज़माने वाला
जब रहा नहीं है रंग जमाने वाला

रंजो -ग़म के ना बहाओ येह आंसू
कोई नहीं है दिलासा दिलाने वाला

तरसेहै इक निवाले को खानेवाला
रुख़सत जब हो गया कमाने वाला

माना के दर्द शदीद है रुलाने वाला
कोई नहीं है हमदर्दी दिखाने वाला

किस की उम्मीद किस का सहारा
खुदही सहारा कोईनहीं आनेवाला

दूर का मुसाफ़िर था सो चला गया
इस घरका नहींथा घरसे जानेवाला

इस पल को जीना है इख़्तियार में
अपना हो के न हो पल आने वाला

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ 'बशर' بشر

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