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कन्या पूजन (पहला भाग) - teena suman (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकप्रेरणादायक

कन्या पूजन (पहला भाग)

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कन्या पूजन (कहानी)

हर साल शांति देवी नवमी की पूजा बड़ी धूमधाम से करती है |शांति देवी के चार बेटे हैं और चारों विवाहित है | पति की मौत के बाद शांति देवी अपने छोटे भाई बसंत ठाकुर के साथ ही रहती है| अपनी बहन के बच्चों के दुलार में बसंत ठाकुर ने अपनी पूरी उम्र निकाल दी|उसने शादी नहीं की ,बसंत ठाकुर गांव का सरपंच है|घर के सभी सदस्यों ने पूजा की और चारों बहुएँ रसोई में लग गई |पहली बहू से सबसे छोटी वाली बहू ने पूछा" भाभी सा अम्मा जी नहीं दिखाई दे रही" बड़ी बहू ने कहा" बहुरानी तुम अभी नई आई हो, अम्मा जी सबके पूजा करने के बाद एक घंटा अलग से पूजा करती है, और इस बीच उन्हें कोई भी परेशान नहीं करता ,हम सिर्फ भोग अंदर पहुंचा देते हैं ,उसके बाद वह क्या करते हैं हमें आज तक नहीं पता, पर !दीपक की संख्या हर साल बढ़ जाती है, मैया जी के दीपक के अलावा पहले 1 दीपक होता था फिर 2 उसके बाद 3 और अब अम्मा जी अलग से 4 दीपक लगाती है, और क्यों?? यह सिर्फ अम्मा जी या फिर बसंत मामा ही जानते हैं "|पर ऐसा क्यों ??छोटी बहू ने अचंभित होते हुए पूछा! बड़ी बहू बोली "छोटी बहू घर में इस मामले में बात करना बिल्कुल मना है इसलिए अब तुम भी यह समझ लो, बाकी तुम्हें और परेशानी नहीं होगी, हम इतने सालों से इस घर में है अम्मा जी ने हमें अपनी मां की तरह प्यार दिया है ,कभी कोई परेशानी हो अम्माजी रात दिन हमारे साथ खड़ी रहती है ,बस एक कमी है सिर्फ बेटियों की|अम्मा जी को बेटियां बिल्कुल पसंद नहीं है|इसलिए हमारा दो बार और बाकी दोनों बहुओं का एक-एक बार गर्भपात करवा चुकी है, अम्मा जी कहती हैं बेटियां परेशानी का कारण होती है और इस मामले में अम्मा जी से बहस करना बेमानी है"|"पर यह तो गलत बात है ना भाभीसा बेटा और बेटी तो बराबर होते हैं|बेटियां भी बड़ी प्यारी होती है भाभीसा" छोटी बहू बोली |तकरीबन 1 घंटे के बाद अम्मा जी और बसंत मामा की पूजा खत्म हुई है |उसके बाद शुरू हुआ कन्या भोजन| कन्याओं को बड़े प्यार से आसन पर बिठाया गया ,उन्हें भोजन कराया गया बाद में अम्मा जी ने खुद उनकी पूजा की |उन्हें उपहार दिए ,अम्माजी और बसंत मामा ने| साथ ही घर के सभी सदस्यों ने कन्याओं के पैर छुए और आदर के साथ कन्याओं को विदा किया |छोटी बहू सोच में पड़ गई अम्मा जी को तो बेटियां पसंद नहीं फिर आज नवमी के दिन अंम्मा जी कन्याओं को इतना आदर सत्कार क्यों करती है|

दिन बीत रहे थे और 1 दिन छोटी बहू ने खुशखबरी दी |अम्माजी खुश तो हुई पर साथ ही परेशान भी कि अगर बेटी हुई तो| 2 महीने बाद अम्मा जी ने पता करवाया और घर पर आकर फरमान सुना दिया "छोटी बहू तुम्हें यह बच्चा गिराना होगा तुम्हारी कोख में बेटी है "|"नहीं अम्मा जी मैं ऐसा नहीं करूंगी" छोटी बहू की आवाज गूंजी |यह सुनकर अम्मा जी को गुस्सा आ गया "छोटी बहू तुम्हारी इतनी हिम्मत, जो मैंने कहा इस घर में वही होगा, इस घर में बेटी का जन्म नहीं होगा तो नहीं होगा ,तुम्हें यह गर्भ गिराना होगा "|पर छोटी बहू अपने बच्चे की ढाल बने खड़ी रही और उसने साफ साफ शब्दों में मना कर दिया, कि वह यह गर्भ नहीं गिराएगी |उसने अम्मा जी को समझाने की कोशिश की "अम्माजी बेटियां और बेटों में क्या फर्क है हम भी तो किसी की बेटियां थी जो आप हमें इस घर में लाएं और अब हमारी बेटियां किसी और के घरों में जाएगी| बेटियां बड़ी प्यारी होती है अम्मा जी "|अम्मा जी ने क्रोध में कहा" हर कोई हमारे जैसा नहीं होता" और यह कहते कहते अम्माजी रुक गई |अम्मा जी ने साफ साफ शब्दों में कह दिया" छोटी बहू अगर यह बेटी घर में आई तो मेरा इससे कोई नाता नहीं होगा, तुम मुझसे कोई उम्मीद ना रखना, ना इस घर में ना मुझ पर तुम्हारी संतान का कोई अधिकार नहीं होगा| वह तुम्हारी सिर्फ तुम्हारी जिम्मेदारी होगी"|

9 महीनों में एक प्यारी सी गुड़िया ने जन्म लिया, अम्मा जी ने छोटी बहू का तो खास ध्यान रखा पर गुड़िया की तरफ एक नजर उठाकर नहीं देखा| अम्मा जी दिनभर अपने पोतों के लाड दुलार में लगी रहती| पर !गुड़िया को अपनी गोदी में खिलाना तो दूर उसकी तरफ प्यार से एक नजर नहीं देखती |

आगे क्या हुआ पढ़िए कहानी के अगले भाग में...

दोस्तों कहानी कैसी लगी बताइएगा मुझे आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा.. धन्यवाद

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

चैतन्यपूर्ण

दादी की परी
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