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जमाने की राह - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

जमाने की राह

  • 77
  • 1 Min Read

सबकुछ बदलता है वक़्त के प्रवाह से
हरआदमी चलता है जमाने की राह से

बशरजो निकलता है दिलकी पनाह से
दिल जलताहै दिलकी आहकी दाह से

© "बशर" بشر

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ये ज़िन्दगी के रेले
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