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कवितानज़्म
यूं तो वक़्त ने बहोत कुछ सिखाया मग़र कुछ भी वक़्त पर नहीं सिखाया! वो रहबर बन कर आए भी तो क्या रास्ता अगरचे वक़्त पर नहीं दिखाया! @"बशर"