कवितालयबद्ध कविता
कुछ कदमों की ही हैं बात,
प्रिय" अब चलो हमारे साथ,
थामकर ऐसे ही हाथों में हाथ,
चाहत के कुसुम खिले डगर पर,
प्रेम का रंग अनूठा और चाँदनी रात।।
सही-सही कहो, तुम तो साथ निभाओगे,
चलते हुए संग-संग गीत सुनाओगे,
मन तेरा जी हुआ, तुम तो नयन मिलाओगे,
दोनों चल दे जीवन के नए सफर पर,
प्रेम की बातें गहरी और चांदनी रात।।
अरी ओ प्राण प्रिय अब जान ही लो,
मन चाहत में मेरा तुम मान ही लो,
हम दोनों चलेंगे संग, तुम ठान ही लो,
हम दोनों चलेंगे संग प्रेम नगर तक,
बातें चाहत की हैं मीठी और चाँदनी रात।।
तुम संग ले लूं सप्तपदी के फेड़े,
मैं हो जाऊँ तेरा, तुम बसना सपनों में मेरे,
प्रेम नगर आते ही हम डालेंगे डेरे,
जीवन के लमहों में बाकी बचे असर तक,
चाहत की बातें हैं भोली और चाँदनी रात।।
जीवन के पलकों पर हम-तुम दोनों मोती,
नयन से नयन मिलाकर ओ प्राण प्रिय,
गाए प्रेम गीत संग, छेड़े तार सप्त सुरों की,
होकर एक डूबे भामिनी प्रेम के सात सुरों तक,
बातें अति प्रिय चाहत की और चाँदनी रात।।