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Sahitya Arpan - मदन मोहन" मैत्रेय
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मदन मोहन" मैत्रेय

'केशव'

नाम-मदन मोहन" मैत्रेय
माता-श्रीमति नगीना देवी
पिता- श्री अमरनाथ ठाकुर

एजुकेशन- बी. ए.

आप कविता, कहानी, उपन्यास एवं लेख लिखते हैं, जो प्रवर्तमान घटनाचक्र, समय केंद्र और सामाजिक विषयों पर होता हैं। स्वाभाविक हैं, आपका उदेश्य पाठकों का मनोरंजन करने के साथ ही उन्हें विभिन्न विषयों पर जागृत करना हैं।

आप जो रचना करते हैं, वह विभिन्न पत्रिका समूह/ डिजिटल प्लेटफार्म पर प्रकाशित होता हैं। साथ ही आपकी रचना एकल काव्य संग्रह के रुप में, उपन्यास के रूप में एवं एंथालाँजी में सहभागिता के रूप में प्रकाशित हो चुका हैं।

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  • London

    London is the capital city of England.

    कवितालयबद्ध कविता

    कुछ कदमों की ही हैं बात........

    • Added 2 months ago
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    • 313
    • 5 Mins Read

    कुछ कदमों की ही हैं बात,
    प्रिय" अब चलो हमारे साथ,
    थामकर ऐसे ही हाथों में हाथ,
    चाहत के कुसुम खिले डगर पर,
    प्रेम का रंग अनूठा और चाँदनी रात।।




    सही-सही कहो, तुम तो साथ निभाओगे,
    चलते हुए संग-संग गीत सुनाओगे,
    मन
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    कुछ कदमों की ही हैं बात........,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    अभिव्यक्ति” के शाश्वत गरिमा से....

    • Added 2 months ago
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    • 56
    • 4 Mins Read

    अभिव्यक्ति" के शाश्वत गरिमा से,
    कह दूं, बिल्कुल' अंजान नहीं हूं।
    आज-कल चर्चा का बाजार तेज है,
    सत्य कहूं' किंचित हैरान नहीं हूं।।


    बीते का बनता हुआ वह विषम लेख,
    कब से, अपना उत्तर दाई खोज रहा है।
    भ्रम
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    अभिव्यक्ति” के शाश्वत गरिमा से....,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कहानीप्रेम कहानियाँ

    लव-सेंस

    • Added 2 months ago
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    • 12
    • 257 Mins Read

    यह कहानी समाज में हो रहे बदलाव पर आधार बिंदुओं को चिंन्हित करता है!कहानी का फैक्ट मुल बिंदू से अलग है,कहानी के मुख्य पात्र में भिन्नता हैं,शौरभ जो कि स्वभाव से प्रेक्टीकल हैं,वो चाहता हैं कि जो लङकी
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    लव-सेंस,<span>प्रेम कहानियाँ</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जो डूबन चाहो रस माधुरी........

    • Added 3 months ago
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    • 318
    • 6 Mins Read

    जो डूबन चाहो रस माधुरी,
    मन चलो वृंदावन की ओर,
    मन भाव बनाओ वृजवालन की,
    रुप धरो व्रज-ग्वालिन की,
    पी भक्ति सुधा रस प्यालन की,
    छोड़ो काम जगत-जंजालन की,
    जग के मान-दंभ सब दूर करो,
    प्यारे तोहे मिल जाएंगे
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    जो डूबन चाहो रस माधुरी........,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    चाहूं हे रघुनंदन सबरी की गति........

    • Added 3 months ago
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    • 217
    • 4 Mins Read

    चाहूं हे रघुनंदन सबरी की गति,
    मैं अनख स्वभाव मन मूढ़ मति,
    लालच जग की माया से दूर करो,
    कुंद बुद्धि जो मैं हूं हे सीता के पति।।



    हे अवधेश मेरे मन ग्रहीत क्लेश,
    लोभ के बस करूं कपटी का वेष,
    आप जगत-प्रति
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    चाहूं हे रघुनंदन सबरी की गति........,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    सपने का प्रतिबिंब हृदय पर अब-तक छाया......

    • Added 3 months ago
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    • 116
    • 6 Mins Read

    सपने का प्रतिबिंब हृदय पर अब-तक छाया,
    कुछ धुंधला-धुंधला सा जो बीते यादों का साया,
    बीते हुए पल का मन में कब से चलता अंतर्द्वंद्व,
    उलझ गया जो सुलझ रहा नहीं जीवन का छंद।।


    उर्मित उपवन सा बन जाने की मन
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    सपने का प्रतिबिंब हृदय पर अब-तक छाया......,<span>लयबद्ध कविता</span>

    कवितालयबद्ध कविता

    मन मेरा ऐसे ही बरबस बिहंस गया........

    • Added 4 months ago
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    • 386
    • 6 Mins Read

    मन मेरा ऐसे ही बरबस बिहँस गया,
    देखा जो पथ पर नित ही बात नया,
    काल का चाल गजब का देखा,
    समय केंद्र पर नहीं बदली हाथ की रेखा,
    बात-बेबात मन उलझा फिर ऐसे,
    उपजा हृदय में द्वंद्व का गाँठ नया।।


    चमत्कार कुछ
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    मन मेरा ऐसे ही बरबस बिहंस गया........,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    जीवन" ओ तू जरा साथ तो चल.......

    • Added 4 months ago
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    • 377
    • 5 Mins Read

    जीवन" ओ तू जरा तो साथ चल,
    थामें हुए हाथों में हाथ पथ पर,
    दे तो जरा हौसला, पालूं उम्मीदें,
    तू संभाले रहना, जाऊँ मैं जब मचल।।



    फलसफा जो बना हैं, मिटा भी सकूं,
    कंकर भरे रास्तों पर कदम बढ़ा भी सकूं,
    तू कर
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    कवितालयबद्ध कविता

    हसरतों के पगडंडियों पर बढ़ने लगा हूं.....

    • Added 4 months ago
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    • 97
    • 7 Mins Read

    हसरतों के पगडंडियों पे बढ़ने लगा हूं,
    मासूम खयालात को अब गढ़ने लगा हूं,
    लगी हैं मजलिसें इश्क जिंदगी के सफर में,
    उभर आया हैं तेरा अक्स पिया मेरी नजर में,
    बयां कर रहा हूं ख्वाहिश जगा हैं जो तेरे लिए,
    बंद
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    हसरतों के पगडंडियों पर बढ़ने लगा हूं.....,<span>लयबद्ध कविता</span>

    कहानीसस्पेंस और थ्रिलर, उपन्यास

    लिंसा-चिकोरी

    • Added 4 months ago
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    • 141
    • 63 Mins Read

    कहानी प्रेम का हैं, धैर्य और विश्वास का हैं। साथ ही इसमें छल और प्रतिशोध भी हैं। जो कि” अपने ऊपर हुए घात के कारण उत्पन्न होता हैं। इस कहानी में कहीं-कहीं चरित्र में उदासीनता भी हैं, तो कभी आक्रामक
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    लिंसा-चिकोरी,<span>सस्पेंस और थ्रिलर</span>, <span>उपन्यास</span>
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    कवितालयबद्ध कविता

    अभ्यागत"....तुम आए जब से, हो उदासीन.....

    • Added 4 months ago
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    • 155
    • 6 Mins Read

    अभ्यागत" तुम आए जब से, हो उदासीन,
    लगते हो कुछ उद्विग्न मन, कुछ मन मलिन,
    नितांत ही तुम लग रहे हो अति अक्रांत,
    लगता हैं, तुम जीवन के हुए नहीं शरणागत।।



    अभिलाषाओं के समंदर में ऊँचे-ऊँचे मौजा,
    लगते हो,
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    कवितालयबद्ध कविता

    बोलूं तो, बीते हुए काल-खंड से सीखा हैं.......

    • Added 4 months ago
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    • 324
    • 5 Mins Read

    बोलूं तो, बीते हुए काल-खंड से सीखा हैं,
    मन के दुविधा का प्रतिफल अति तीखा हैं,
    जीवन पथ पर बढ़ना सही हैं संयम से,
    मानक बिंदु पर जीने का यही सही तरीका हैं।।



    माना, कुछ भूल हुआ था अतीत काल में,
    भ्रम के
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    बोलूं तो, बीते हुए काल-खंड से सीखा हैं.......,<span>लयबद्ध कविता</span>
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