Login
Login
Login
Or
Create Account
l
Forgot Password?
Trending
Writers
Latest Posts
Competitions
Magazines
Start Writing
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Searching
"चाहत"
कविता
पत्नी हूँ तुम्हारी मैं भी प्रेम चाहती हूँ
कवि हो जाना
"फुर्सत के दो पल"
तुम्हारे घर में एक छोटा सा कोना चाहती हूँ
तुम्हारे आंगन की तुलसी हो जाना चाहती हूँ
गुलाम की हसरते चाहत
पाप और पुण्य से परे
धुंधलापन ------------------------ इस रात के घने अंधेरे में मैं देखना चाहता हूँ चारों ओर इस दुनियाँ का रंग रूप पर कुछ दिखता नहीं पर मन में एक रोशनी सी दिखती है | बस हर तरफ से नजरें हारकर बस उसकी तरफ मुड़ जाती है दिखती है वह दूर से आती हुई पर उस
धुंधलापन
मेरी ख्वाहिशें
दिल चाहता है
यथार्थ रूप भाग-४( एक पुकार उस मनस्वी को)
दिल चाहता है
मेरे जज़्बात
मैं क्या चाहता हूँ
शरारत
सुन लो ना
जब राम नही बन सकते
शब्द
लौटोगे?
शब्द
नदी की अभिलाषा
मेरे अन्दर मैं कैद हूं
तस्वीर....
ख्वाहिश.....
तुझको भूल न पाएं....
कहिए 2020 को अलविदा
मैं बेवफा तो नहीं
पिया ❣️
आशिक़ की अभिलाषा
अस्तित्व की आवाज
अस्तित्व की आवाज
कैसे कहूँ सच्चाई
जीने की कला
खेल खेल में
गूढ़ रहस्य
प्रेम और गलतफहमी
मोहब्बत सी हो गई है, तेरे एक इंतजार में...
आज शिक्षकों की व्यथा
जी चाहता है।
एक कड़वे सच के आईने में
गीत.. हाथ में खंजर लिए
मेरी उल्फ़त, मेरी चाहत
मैं पुल होना चाहता हूँ
"मैं अभी और पढ़ना चाहती हूं"
चाहता हूं
दिल-ए-नाशाद तक़दीर बनाना चाहता है
चाहत
*सराबों से आब चाहता है*
खुदसे सुनना चाहता हूँ
आमाले-कमाल तेरा तुझपर है
उम्रे-पीरी में अहद-ए-शबाब चाहते हो
उम्रे-पीरी में अहद-ए-शबाब चाहते हो
दूर ये तकरार हो
आसमान पाना चाहता है
अपने आप पर ए'तिमाद ओ एहतराम की इब्तिदा करें!
उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं
दिलों में घर चाहता हूँ
"लिख सकूं तो"
उलझने बढाना कौन चाहता है
आलिंगन
हर कोई आम खाना चाहता है
खरा आदमी
अपना कहने को जी चाहता है
खुले आसमान में जीना चाहता हूँ
फ़कीर होना चाहता हूँ
अभ्यागत"....तुम आए जब से, हो उदासीन.....
कहानी
गृहस्थ आश्रम (लघुकथा)
एक बुरा ख्वाब
रक्त सम्बन्ध
लेख
मैं तुम्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहता हूं
भूख
परफेक्ट के फ्रेम में फिट नहीं बैठती मैं
Edit Comment
×
Modal body..