कवितालयबद्ध कविता
कैसे समझाऊं पिया तुमको
तुम जल्दी गुस्सा हो जाते हो।
मैं कहती नही जब बात को।
तुम न जाने कहाँ खो जाते हो।
समझो मेरे जज्बात को
मैं जल्दी में नही आती हूँ।
कोई देख न ले संग तुम्हारे
मैं जमाने से डर जाती हूँ।
तुम हाथ पकड़ लेते हो मेरा
मैं जान बूझ झटक आती हूँ।
मत करो तुम गुस्सा पिया
मैं जमाने से डर जाती हूँ।
कहती हूँ तुमको नही आऊंगी
पर छुप छुप मिलने आती हूँ।
जब झुकाऊं पलके समझो तुम
मैं प्यार अपना जताती हूँ।
शरीर से नही पिया तुमको
मैं रूह से अपनी चाहती हूं।
तस्वीर तुम्हारी नही देखती
न सीने से तुम्हे लगाती हूँ।
मेरे दिल में सदैव बसे हो तुम
बस आँख बंद कर पाती हूँ।
नही चाह मिलन की मुझको है
बस तेरी सलामती चाहती हूं।
तुम रूह में मेरे बसते हो।
बस उतना रिश्ता चाहती हूं।
बस उतना रिश्ता चाहती हूं। - नेहा शर्मा