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हमारे तीन अचूक शस्त्र - आस, प्रयास और विश्वास
हम सभी जीवन में सफलता की कामना करते हैं और उसकी प्राप्ति के लिए अपन- अपने तरीकों से प्रयास करते हैं।इन प्रयासों में समय, स्थान, परिस्थिति और संसाधन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।कभी वे हमें मनचाही सफलता दिलाते हैं और कभी लाख प्रयत्न करने पर भी हमारे हाथ असफलता लगती है। ऐसी स्थिति हमें सोचने पर विवश करती है कि हमारे प्रयास में कमी है अथवा हम निराश हो चुके हैं और स्वयं पर से विश्वास खो चुके हैं।तब हमें यह मानना पड़ता है कि सफलता की प्राप्ति के लिए आस, प्रयास और विश्वास तीनों ही अति आवश्यक हैं।
आस
कहा गया है,"जब तक सांस ,तब तक आस"आस यानि आशा,उम्मीद।आशा जीवन की प्रेरणा और जीने का आधार होती है। यदि आशा खत्म हो जाए तो, जीने का मकसद ख़त्म हो जाता है आशाएँ यदि सकारात्मक हों, वे जीवन को खूबसूरत बनाती हैं, जीवन में उत्साह और उमंग भरती हैं।वहीं नैराश्य पूर्ण नकारात्मक विचार जीवन जीने का आनंद छीन लेते हैं।
सकारात्मकता और आशाएं कठिन समय में भी विश्वास डिगने नहीं देतीं। आशा के सहारे कठिनाइयों को भी सहजता से पार किया जा सकता है।
सकारात्मक आशा के चमत्कारी प्रभाव को वैज्ञानिक भी मानते हैं। चिकित्सक भी मरीज को सकारात्मक सोच अर्थात आशा ,दृढ़ इच्छाशक्ति रखने को कहते हैं।आशावादिता हमारे स्वास्थ्य को सुरक्षा कवच प्रदान करती है ।
जीवन में सफलता पानी है तो आशावादिता को अपनाना होगा,यही प्रकाश की एक किरण है,अँधियारों में चमकता, टिमटिमाता दीपक है, जो सतत हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
प्रयास
अब बात करें प्रयास की। बिना प्रयास के मात्र आशा करने से कोई भी सिद्धि प्राप्त नहीं होती। एक सोता हुआ सिंह मात्र आशा करता रहे कि उसके मुंह में हिरन प्रवेश कर जाए,तो यह असंभव है इसके लिए उसे खुद आखेट करना होगा। प्रयास करने से ही चींटी अपने से 10 गुना अधिक वजन को ढोकर अपने लक्ष्य तक पहुंच जाती है।अरुणिमा सिन्हा एक पैर के सहारे विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर फतह हासिल कर सकती है। ऐसे अनेकों अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं।
विश्वास
विश्वास पर ही सुख -दुख, सफलता, असफलता, शांति ,क्रोध और मन की अनेक संवेदनाएं निर्भर हैं।जो लोग यह विश्वास करते हैं कि ‘वे कुछ विशेष हैं’ या ‘वे इस परिस्थिति से ऊपर हैं’वे अपने विश्वास को विचारों व कल्पना से बदल कर जीवन सफल व सुखमय बना सकते हैं।वे अपने प्रयास से असंभव को संभव बनाने की ताकत रखते हैं।विश्वास की स्थिति में शरीर तंत्र व स्नायु तंत्र भी लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होते हैं।
कार्लाइल ने कहा है," सबसे अभाग्यपूर्ण विश्वास है अपने पर अविश्वास।"
हमें हमारे आस- पास ही ऐसे लोग मिल जाएंगे जो कल तक मुफलिसी का जीवन जी रहे थे, आज अपनी मेहनत के बल पर बुलंदी पर है। आशा,प्रयास और विश्वास से इतिहास रचे गए हैं।एक मोची का पुत्र राष्ट्रपति बन सकता है, तो एक चाय वाले का बेटा प्रधानमंत्री बन सकता है।
इस प्रकार इन तीनों से; आशा, प्रयास और विश्वास से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। कहा भी गया है, एक निराश व्यक्ति किसी भी कार्य में सफलता की कामना नहीं कर सकता।
गीता परिहार
अयोध्या