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कवितानज़्म
जीने केलिए चाहिए कि नहीं पता नहीं मग़र मरने के लिए इक जिंदगी चाहिए! लाश कभी समंदर में भी डूबती नहीं है गोया डूबने केलिए इक जिंदगी चाहिए! @"बशर"