कविताअतुकांत कविताअन्य
मायके से सिर्फ बेटियाँ नही लौटती हैं।
लौटता है उनके साथ मान सम्मान
मायके के यादों की पोटली
घर आंगन में उछलता कूदता बचपन
पिता के आशीर्वाद में जताई गई चिंता
माँ के आंचल से निकली सीख
भाई के प्यार से निकला आश्वासन
भाभी के आंखों में बंधा विश्वास
और अपने बच्चों के साथ बंधी प्रेम की डोर
हम अक्सर पूछते रह जाते हैं
आखिर बेटियां क्यों है पराई।
माँ की आंखे कह देती हैं समझा देती हैं जिम्मेदारी
पिता के झुकते कंधों बताते हैं कि बचपन और बड़े में फर्क हो गया है।
भाई की नौकरी में बढ़ती व्यस्तता अब खेल खिलौनों से दूर है।
भाभी की आंखों में दिखता है खुशियों से सजा कोना कोना
बेटियां बांध लेती हैं विश्वास को उसी पल्लू में
निकल पड़ती है ससुराल की तरफ
एक आस एक विश्वास के साथ। - नेहा शर्मा
सही.. कहा... बेटियाँ होती है बहुत समझदार उसे कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ती...🙎