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हम सब अपने अपने सारे ऐब निकालें - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

हम सब अपने अपने सारे ऐब निकालें

  • 17
  • 2 Min Read

बे-शक येह ज़माना चुन चुनकर मुझमें मेरे सारे ऐब निकले
शर्त ये है कि हर शख़्स पहले खुद अपने सारे ऐब निकाले!
इक दूजे में ऐब निकालते रहने से कुछ नतीज़ा न निकलेगा
बेऐब हो ज़माना के हम सब अपने अपने सारे ऐब निकालें!
@'बशर'

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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