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कवितानज़्म
बे-शक येह ज़माना चुन चुनकर मुझमें मेरे सारे ऐब निकले शर्त ये है कि हर शख़्स पहले खुद अपने सारे ऐब निकाले! इक दूजे में ऐब निकालते रहने से कुछ नतीज़ा न निकलेगा बेऐब हो ज़माना के हम सब अपने अपने सारे ऐब निकालें! @'बशर'