कवितारायगानीनज़्मगजलदोहाछंदचौपाईघनाक्षरीअन्यगीत
इश्क़ 💔🥀
के इश्क़ में तुमसे बिछड़ कर कहा जिंदा हूं मैं ।
कैसे तुमसे नजरें मिलाऊ में, इतना ज्यादा खुद से शर्मिंदा हूं मैं ।
जो बिखरा मेरा बसा बसाया आशियाना ?
दरबदर भटकता वो नादान परिंदा हूं मैं ।
हो गई तन्हा रहने की आदत मुझे कई अरसे से ?
अब नहीं चाहिए किसी और का साथ मुझे, ऐसा इश्क़ में ठुकराया हुआ बंदा हूं मैं ।
फिरोज़ खान मदनी