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कवितानज़्म
मनही में रहगई हसरत ओ आरज़ू मुलाक़ात की कहानी क्या कहें तुम को ऐ दोस्त बीती रात की बादलों की ओटसे महताब यूं गुज़र गया के बस न जीभरकर देखसके न दिल लगाकार बात की @"बशर"