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न दिल लगाकार बात की - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

न दिल लगाकार बात की

  • 25
  • 1 Min Read

मनही में रहगई हसरत ओ आरज़ू मुलाक़ात की
कहानी क्या कहें तुम को ऐ दोस्त बीती रात की

बादलों की ओटसे महताब यूं गुज़र गया के बस
न जीभरकर देखसके न दिल लगाकार बात की

@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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