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कवितानज़्म
बेटे पोते को ले गई कर गई सूना घर पीरी में बहू ने मुश्क़िल किया सफ़र!! मुश्क़िल किया सफ़र दिन कटने भारी दिन कटे तो रातें नहीं होती हैं बसर!! @"बशर"