कहानीसंस्मरणहास्य व्यंग्यव्यंग्य
उस दिन हम जबरदस्त तैयार होकर बाहर निकले दरवाजे पर खड़े थे कि एक महिला फोन में भी लगी हुई थी और पड़ोस घर की घण्टी दनादन बजाए जा रही थी। हम भी पतिदेव और बेटी के जूते पहनकर बाहर आने का इंतज़ार करने लगे। 5 मिंट बाद दोनों बाहर आये हमने इनको बताया की ये औरत कब से 4 या 5 बार घण्टी बजा चुकी है पर कोई बाहर नही आया। तब पतिदेव प्यार से पहुंचे उन बाला के पास और बोले (Excuse madam i think no one is at home right now) माफ कीजियेगा लगता है घर मे कोई नही है। इतना कहना था कि उस औरत ने फोन से नज़र हटाकर आश्चर्य से पति को देखा और कुछ सेकंड बाद हंसी। हम भी आश्चर्य में थे कि इतने रहस्यमयी तरीके से देखने के बाद वो हंसी क्यों। पतिदेव को वो कुछ बोल रही थी। उसके बाद पतिदेव जब वापस आये तो हमने उनसे पूछा कि ये फ़िरंगन आपसे क्या कह रही थी। पतिदेव बोले सब औरतें दिमाग पर्स में रखकर चलती है। या फिर मोबाइल में घूमता हैं उनका कुछ नही हुआ उसे फोन की लत लग गयी है। घर की चाबी जेब मे थी दिमाग फोन में और हाथ दरवाजे की घण्टी पर। अकेली रहती है। कौन आएगा दरवाजा खोलने। चश्मा सिर पर रख तो लेती हैं पर अक्ल खूंटी पर टांग आती हैं। कहकर पतिदेव आगे बढ़ गए और हम पेट पकड़कर हंसते रह गए। ©- नेहा शर्मा
हाहाहा मजा आ गया। मेरे हाथ में मोबाइल न भी हो तो ऐसी हरकतें यदाकदा मेरे से हो जाती हैं ?
बहुत ही मजेदार वाकया..! वास्तव में फोन में कभी कभी लोग इतना खो जाते हैं कि दिमाग़ चलाना ही बन्द कर देते हैं..!,???