कवितालयबद्ध कविता
क्या है इरादा
भूल गए हर वादा क्या है ऐसा इरादा
महोब्बत की लगाकर लत
नफरत की तलब क्यों जगा रहे हों
अपने थे अपने रहोगे
गैरों सा क्यों रवैया कर रहे हों
करके महोब्बत की नाव पर सवार
क्यों मझधार छोड़ने की चाह रहे हों
प्रेम के परिंदे के प्रेम पर मत काटो
बिन पर तड़पता रह जायेगा
सुनहरे सवेरे पर कोहरा सा छा जाएगा
खेमाराम छापरवाल कवि खेम चुगनी