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जिज्जी भाग 13 - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिक

जिज्जी भाग 13

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जिज्जी पार्ट 13

भानु शशि अपना सा मुंह लेकर घर लौट आये। शशि का तो खून ही उबल रहा था।
“झुक गए ना एक बार फिर आप जिज्जी के सामने, उनकी बातों में आजाते हैं”।
भानु “शशि तू ही बता बहन का दिल दुखाकर मैं ट्रिप पर कैसे रहता, मेरा दिमाग इनकी रूसा रूसाई में ही पड़ा रहता।
शशि “हाँ भानु तुम सही कहते हो कुछ भी हो है तो तुम्हारी बहन ही ना, मेरा भी मन नही लगता अब छोडो जो हुआ सो हुआ चलो कपड़े बदल लेते है। खाना खाने आज बाहर ही चलते है।
भानु “ठीक है अपनी किस्मत में एक दूसरे के साथ घूमना है ही नही शशि, काश इतना बचपना ना होता जिज्जी में”,
शशि “अच्छा ठीक है अब कपड़े बदल लो,”
दोनों फ्रेश होकर आकर सोफे पर बैठकर tv में मग्न हो जाते है।
तभी डोर बेल बजती है। शशी दरवाजा खोलती है। सामने जिज्जी खड़ी थी।
जिज्जी अंदर आते हुए
हाये मेरा भाई मेरा भानु (भानु के दोनों गालों को हाथ से खींचते हुए) मुझे मालूम था तू मुझे दुखी छोड़कर जा ही नही सकता है।
भानु “ बैठो जिज्जी”
शशि “जिज्जी कुछ लोगी का”
जिज्जी “हाँ एक कप चाय बना ला, सुण उसके साथ वो बाराबोंन (bourboun) वाले buscuit भी लाना बड़ा मन कर रहा है खाने का वैसे तो खाने का टाइम हो रहा है खाना खाकर जाऊंगी”।
शशि रसोई में जाते हुए
हे भगवान इन जिज्जी का ये सिंगल पीस हमारे ही गले मे बांधना था का, अब बाहर खाना भी कैंसिल, कसम से समझ नही आता कि रस्सी गले मे बांधकर मर जाए या गले को रस्सी में बांधकर। अभी पहले चाय बना दे समय पर चाय ना मिली इनको तो हमारा गला सच्ची में रस्सी में आ जायेगा।
बाहर सोफे पर बैठते हुए जिज्जी “अच्छा क्या देख रहा है, न्यूज़ देख रहा है का, चल ला रिमोट दे हम बताते हैं का देखना चाहिये, (रिमोट ले लेती है)
चैनल लगाते हुए ई देख ई ह गजब चेन्नल इसमें नयी नयी रेसिपी आवे है। देख आज क्या बनना सिखाएगी। शशी तू भी सीख ले अगली बार हमें यही बना के ख़िलाइयो।
शशि खुद से रसोई में बात करते हुए, “जिज्जी ने कभी कुछ नया बनाया है हर दूसरे दिन जिज्जा को मूंग की दाल खिला खिला के मरीज बना दिया है”
शशि चाय के कप मेज पर रखते हुए, चाय का प्याला मेज पर से उठाकर सभी को देती है फिर एक प्याला खुद उठाकर चाय पीते हुए
“अच्छा जिज्जी आप सभी खाना बहुत ही बढ़िया बनाती हो,” यह लाइन सुनकर भानु सोचने लगता है आज शशि को क्या हुआ उसे मालूम है जिज्जी ने घर मे मूंग की दाल मूंग की खिचड़ी ये सब बना बनाकर घरवालों को पका रखा है दूसरी कुछ चीज़ बढ़िया बनाती नही है फिर ये बात क्यों कर रही है”?
तभी भानु की तन्द्रा टूटी शशि के सवाल को मुंह खोल कर सुन रहा था।
शशि “ अच्छा जिज्जी आप सबसे बेस्ट क्या बना लेती हैं,
जिज्जी अरे हम तो सब ही बढ़िया बना लेते हैं पर जो सबसे बढ़िया बनाते हैं ना उ है खिचड़ी मूंग दाल की तुम्हरे जिज्जा को बड़ी पसन्द है। भयत तारीफ करते है।
यह सुनते ही भानु को धसकी लग जाती है शशि दबी हंसी से भागकर पानी लाती है।-नेहा शर्मा

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दादी की परी
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