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इश्क मोहब्बत - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

इश्क मोहब्बत

  • 261
  • 3 Min Read

वो अनमोल नगीना साँसों का उनके छल्ले में था।
आज इश्क़ बदनाम उनके मोहल्ले में था।

वो बेख्याली में गुजर रहे थे दिल की गलियों से।
मेरे प्यार का निशान उनके गले में था।


खिलाफत की जमाने ने बड़ी हिमाकत थी उनकी।
पर मेरा घर भी उनके घर से अगले में था।

बड़ी खुद्दार थी निगाहें उनकी जो हम पर टिकी
कमबख्त दिल उस पर बस फिसलने में था।

तमाशा बना दिया उसने मोहब्बत का सरे आम
बेईमान इश्क़ न बिल्कुल सम्भलने में था।

अब जादूगर बन न करना कोई जादु मुझ पर तु
तू आगे रही मैं अभी ख्वाब पिछले में था।

करके देख तू फना एक बार खुद को मुझ पर न कहना
एक वो आशिक था चला गया जिसका नाम दिल के हर पन्ने में था। - नेहा शर्मा

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Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

बहुत खूब ....मैम

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

वाह अति उत्तम👌

Anjani Tripathi

Anjani Tripathi 3 years ago

क्या बात है मैम

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

क्या बात है

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद

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