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कामदा छंद - Basudeo Agarwal "Naman" (Sahitya Arpan)

कविताछंद

कामदा छंद

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  • 4 Min Read

कामदा छंद

स्वार्थ में सनी राजनीति है।
वोट नोट से आज प्रीति है।
देश खा रहे हैं सभी यहाँ।
दौर लूट का देखिये जहाँ।।

त्रस्त आज आतंक से सभी।
देश की न थी ये दशा कभी।
देखिये जहाँ रक्त-धार है।
लोकतंत्र भी शर्मसार है।।

शील नारियाँ हैं लुटा रही।
लाज से मरी जा रही मही।
अर्थ पाँव पे जो टिकी हुई।
न्याय की व्यवस्था बिकी हुई।।

धूर्त चोर नेता यहाँ हुये।
कीमतें सभी आसमाँ छुये।।
देश की दशा है बड़ी बुरी।
वृत्ति छा गयी आज आसुरी।।
===============
कामदा छंद विधान:-

"रायजाग" ये वर्ण राख के।
छंद 'कामदा' धीर चाखते।।

"रायजाग" = रगण यगण जगण गुरु
(212 122 121 2) = 10 वर्ण। चार चरण दो दो समतुकांत।
(इस छंद का पंक्तिका नाम भी मिलता है)
****************

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

बहुत बधाई

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