Or
Create Account l Forgot Password?
कवितानज़्म
जबजब हबीब से मिलने की कसमें खाईं हैं, कसम से यारो हमने रातों की नींद गंवाई है! तन्हा रहने की हमने जब से कसम खाई है, कसम से हम ने "बशर" बड़ी फ़ुर्सत पाई है! © 'बशर' بشرؔ