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गीता का सार - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

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गीता का सार

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* गीता *
गीता, जीवन का सार है।
जन्म मृत्यु के पार भी जीवन सम्भाव्य है। गीता में कहा है,,,आत्मा अजर अमर है, कभी मरती नहीं। वह मात्र चोला बदलती है। पूर्व जन्म की स्मृतियाँ भी कई बच्चे लाते हैं, यह इसका प्रमाण है। मनुष्य आत्मा अपने कर्मों का लेखा जोखा एक सी डी की तरह अपने साथ रखता है। उसी के अनुसार वह जीवन पाता है। एक ही पिता की दो संतानें,,,एक सन्त व दूसरी डाकू क्यूँ ?
अपने कर्मों का फ़ल इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में भोगना ही पड़ता है।
यदि हम आम की गुठली बोएंगे तो आम का वृक्ष ही उगेगा, बबूल का नहीं।
इसी तरह मनुष्य आत्मा हर जन्म में वही शरीर धारण करती है।
कर्मण्ये वा अधिकारस्ये मा फलेषु कदाचन,,,जी कर्म किए जाएं, फल की आशा ना करें। कर्म ही पूजा है। सोचो,,,जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा अच्छा है और जो होगा अच्छा ही होगा। अतीत है भूत, भविष्य है अनिश्चित। अतः जो हमारे हाथ में है यानी हम अपने वर्तमान को जी लें।
सरला मेहता

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर 🙏

समीक्षा
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