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Pehchano mujhe - Samriddhi Kaushik (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

Pehchano mujhe

  • 15
  • 8 Min Read

पहचानो मुझे ,
सुनो मेरी बात,

अब समझो कुछ
सच्चाई की सौगात।
हमारे देश की ये
कड़वी सच्चाई,
जो है चुप्प के
साए में छुपाई।

हमारे देश में
नेताओं की बातें,
सिर्फ वोट के लिए
करते हैं वादे।

पर क्या कभी सोचते
हैं ये लोग,
उनकी राजनीति से
किसका मन होता है भंग ,
क्या इनका हमारा है
कोई संग?

मैं भी रही इसी देश
की एक नन्हीं परी,
जिसके सपनों में सजी
परियां सफेद कोट में,
स्टेथेस्कोप की शान में।

बनना था मुझे भी वैसा
दिन-रात मेहनत की,
ख्वाइशों को छोडा,
अपनी धड़कनों को
हर पल सजोया,
और अपना सपना
पूरा कर दिखाया।


लेकिन फिर आई एक
रात ऐसी काली,
मेरे सपनों को चुराने वाली।
अंधेरी गली,
अंधेरा दिल,
मौत से लड़ाई,
मेरा आत्मसम्मान छिन्न-भिन्न।

जिस देश में डॉक्टर को
भगवान माना जाता,
वहाँ मेरे कपड़े ,
मेरे जिस्म,
मेरी रूह,
सबको नोचा।

चीखती रही,
चिल्लाई,
मगर किसी ने मेरी
चीख को सुना नहीं।

अब नन्हीं परी,
सुनो तुम ध्यान से,
सब कहेंगे की
सपने मत देखो,
ये दुनिया बहुत कच्ची है,
मानों हमारी बात ये सच्ची है।

यहाँ हैवान खुले आम घूमते हैं,
और तुमसे तुम्हारी आत्मा
तक छीन लेते हैं।

पर तुम रुको मत,
तुम डरो मत,
अपने सपनों को जिंदा रखो,
इन बुराइयों से लड़ो,
अपनी ताकत को पहचानो।

तुम हो भारत की भविष्य की जान,
तुम्हे इन हैवानों को मिटाना है,
यही है तुम्हारी शान।

नन्हीं परी,
तुम बनो ताकतवर,
इन हैवानों को हराओ,
इस दुनिया को दिखाओ
अपनी काबिलियत।

भारत मां को कलंकित
करने वालो को,
हर लड़ाई में हराओ,
अपनी शक्ति को पहचानो
और उन्हें अपना काली रूप
दिखलाओ।

अरे नन्हीं परी,
तुम मेरे जैसे मत बनो,
बल्कि इन हैवानों को हराकर,
अपनी ताकत को बिखेर दो।

-समृद्धि 🥀💙

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