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कवितानज़्म
अगर हम खुद बदलेंगे तो हमारे हालात भी बदलेंगे हम अपने बदलेंगे तो औरों के जज़्बात भी बदलेंगे! वक़्त कब किसी का यकसाँ रहा है हमेशा के लिए ये वक़्त भी बदलेगा और येह दिन-रात भी बदलेंगे! © 'बशर' بشر