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पहला प्यार - Dipak Kumar (Sahitya Arpan)

कवितागजल

पहला प्यार

  • 26
  • 4 Min Read

इश्क हुआ जब पहली दफा
छुप छुप के इशारा करते थे
खाना पीना दुस्वार हुआ
यादो से गुजारा करते थे

किस गली से गुजरेगी, किस राह से जाएगी
यारो के संग अपने
हम राह निहारा करते थे

दुनिया रंगीन हो जाती है
दिल में जब कोई बसता है
दिल होता है बेचैन बहुत
ना रोता है ना हस्ता है
कितने रातें कितने दिन
उसने मुझको तड़पाये थे

वो दौर जवानी का गुजारा
बच्चे भी बड़े जवान हुए
वो मिली आज रस्ते में थी
हम जान के भी अंजान हुए
वो गीत आ गये याद मुझे
जो मिलके हमने गाए थे

ना वो बोले ना हम बोले
आँखो आँखो में बात हुई
बंदिस थी हम दोनों के लिए
उस पल मुझको एहसास हुआ
जैसे दिन में ही रात हुई
छोड़ के हम जब घर निकले
आँखो में आंसू आये थे

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