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कवितानज़्म
औलाद से सलूक -ए -सिदक-दिली दरपेश आया करो तहज़ीब-ओ-तमद्दुन के अदब का सबक सिखाया करो दुआ -ओ -मन्नत को मुकाम- ए- मुकद्दस होगा हासिल बच्चों की मासूमियत में हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद नुमाया करो @"बशर"