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जन्म और मृत्यु - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

जन्म और मृत्यु

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  • 3 Min Read

कहीं घी के दिये तो कहीं मातम पसरा होता है।
ज़िंदगी में कौन किसका अपना सगा होता है।

एक जगह लड्डू खुशी के बंटते तो एक में आंसू की झलक होती है।
जिंदगी और मौत की कभी आपस में कहाँ बनती है।

माँ के गर्भ में जो 9 महीने की तड़प होती है।
मृत्यु के आखिरी पड़ाव में भी तो वैसी ही झलक होती है

बनकर बच्चा जिन हाथों में खेलता है तू
अंत समय में किन्ही हाथों से सेवा होती है।

शब्द उच्चारण भले ही अलग अलग हो जिंदगी और मौत के
एक के स्वागत में खुशी और एक के स्वागत में आंसुओं की लड़ी होती है।

परवाह नही होती उनको जो बैरागी हो जाते है।
मृत्यु उनकी दासी और जन्म एक पहेली होती है। - नेहा शर्मा

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

Very nice....

नेहा शर्मा3 years ago

जी शुक्रिया

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

Jeevan Ka Satya...!

नेहा शर्मा3 years ago

जी शुक्रिया

प्रपोजल
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