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ज़रूरी नहीं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

ज़रूरी नहीं

  • 4
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हर किसी की हर-बात हर-बार गले उतरे ज़रूरी नहीं
लोग हरदफे आपकी उम्मीद पे खरे उतरें ज़रूरी नहीं

हरकिसी की होती है कोई न कोई अपनी ही मज़बूरी
हर कोई इल्ज़ाम-ए -हालात से बरी उतरे ज़रूरी नहीं

© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर" بشر

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