कविताअतुकांत कविता
जो दे स्वयं की स्वयं पर शान
जो दे स्वयं में स्वयं की आन
होता है स्वाभिमान
जो दे मनाकाश में स्वयं की उड़ान
जो दे मनोभाव में स्वयं का सम्मान
होता है स्वाभिमान
जो स्वयं को सिंह सा सिंह बन दे
जो स्वयं को बाज़ की उड़ान दे
होता है स्वाभिमान
जो स्वयं को गज सा बना दे
जो स्वयं में बल, सत्ता की अदा दे
होता है स्वाभिमान
जो दूसरों के बल का ना दे मान
जो स्वयं में बढ़ाएं खुद का सम्मान
होता है स्वाभिमान