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होता है स्वाभिमान - Harshit Soni (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

होता है स्वाभिमान

  • 26
  • 3 Min Read

जो दे स्वयं की स्वयं पर शान
जो दे स्वयं में स्वयं की आन
होता है स्वाभिमान

जो दे मनाकाश में स्वयं की उड़ान
जो दे मनोभाव में स्वयं का सम्मान
होता है स्वाभिमान

जो स्वयं को सिंह सा सिंह बन दे
जो स्वयं को बाज़ की उड़ान दे
होता है स्वाभिमान

जो स्वयं को गज सा बना दे
जो स्वयं में बल, सत्ता की अदा दे
होता है स्वाभिमान

जो दूसरों के बल का ना दे मान
जो स्वयं में बढ़ाएं खुद का सम्मान
होता है स्वाभिमान

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