कविताअतुकांत कविता
अलविदा 2020
वर्ष २०२० तुम्हारी विदाई
स्वागत २०२१ तुम्हारे आगाज का
हर बार की तरह वर्ष २०२०
किया था मैंने स्वागत तुम्हारा
तुमने की परिस्थितियाँ इतनी विकट
एक छोटे से वायरस से पूरा विश्व हिला दिया!
मानव समझ ही न पाया असहाय हो गया
खतरा, अंधेरा ही अंधेरा, हड़कम्प मच गया
बिमारी, बेरोज़गारी, अकेलेपन की लाचारी
जनता भ्रमित, प्रहरी सजग हुए,कर्मवीरों ने
त्याग की मिसाल बनाई ,आँसुओं से नम आंखों ने
सीखें सबक इस कदर कि पीड़ा भी रो पड़ी
चुनौतियों से मुकाबले का जज़्बा पैदा करना पड़ा
कुछ मानवीय फ़र्ज़ निभाते-निभाते अलविदा कह गए
शारीरिक, मानसिक, आर्थिक स्थिति भी डगमगाई
जब भी खोया, जीने का हौंसला,आत्मविश्वास बढ़ा
कहीं अपनों के करीब हुए, कहीं अपनों से दूरियां हुईं
प्राचीन बिसरे संस्कृति-संस्कार लौट आए
ईश्वर में आस्था बढ़ी, शंखनाद,घंटी, घड़ियाल बजाए
कहीं दबी- छिपी प्रतिभा खुलकर सामने आई
प्रकृति,जीव-जंतुओं ने राहत की सांस पाई
समग्र जल- जीवों ने आनन्द सागर में डूबकी लगाई
नए स्ट्रेन चुनौती का भी सामना है करना
पर्यावरण शुद्ध हुआ अब मलिन नहीं करना
गीता परिहार
अयोध्या