कवितानज़्म
हिम्मत बुलंद है जहां इन्सान की
बुलंदी क्या चीज़ है आस्मान की
हासिल उसे मंजिले-मक़्सूद हुई
लगा दी बाजी जिस ने जान की
सूरतें बदलदी खेत खलिहान की
हिम्मतने मेहनतकश किसान की
हिफ़ाज़त की देश की दुश्मनों से
हिम्मतने सजग सबल जवान की
हौसलों के दम पर ही "बशर" ने
जमाने में अपनी भी पहचान की
© डॉ. एन. आर. कस्वाँ "बशर"