कवितालयबद्ध कविताअन्य
भूर्ज खलीफा सी तुम मुझको ऐसे दिखती हो।
जल बुझ होती लाइट जैसे तुम चलती हो।
आंखे तुम्हारी फुटबॉल सी
कौन सा मैच तुम खेलती हो।
कर लो शादी मुझसे जाना
क्यों पंचायत करती हो।
लड़कीं
ऊंट के जैसे शक्ल तुम्हारी
गधे के जैसे दिखते हो।
पिरामिड है चाल तुम्हारी
रेडियो के जैसे बजते हो।
लड़का उदास होकर
बुरा मान गयी यार तुम तो
तुमसे मैं यह कहता हूँ
Tubelight सी जोड़ी हमारी
बल्ब सा मैं भी जलता हूँ।
लड़कीं गुस्से से
हाथ मे मेरे खुजली मची है।
जाते हो कि पिटते हो।
अभी उतारूँ भूत तुम्हारा
या पतली गली पकड़ते हो।
लड़का
गलती होगयी बहन जी मुझसे
कान अब मैं पकड़ता हूँ
अब नही मारूंगा लाइन
वादा तुमसे करता हूँ। - नेहा शर्मा