कविताअन्य
#चित्रकविता
दीया जला चहुं ओर प्रकाश कर गया
ज्ञान के प्रकाश से जीवन निखर गया।
जितना ही पढूं पिपासा मिटी नहीं कभी
ऐसा बारहा हुआ कि दीये से तेल चुक गया।
तेल और बाती हैं आशा और विश्वास मेरे, उजाले और उमंग की सौगात बिखेरें।
हूं एक नन्हा सा दीया तो क्या! तेल और बाती संग तम से लड़ा हूँ ।
पुस्तकें हर लेती तिमिर अज्ञान
भटक जाएं गर तो लातीं हैं राह पर।
दीये और पुस्तकों का अजीब नाता है
एक जलकर,दूजा तपकर राह सही दिखाते हैं।