कवितागीत
शीर्षक-फोन ए मोहब्बत
इक अंजानी मोहतरमा से
फोन पर बात हो गई
बोली सुनकर दिल ने कहा
ख्वाबों की मल्लिका मिल गई
इक चुलबुली नाज़नी से
दिल की डोर बंध गई
चंचल और शोख हसीना से
अनदेखी चाहत हो गई
खनकती सी उसकी हंसी
छाई पतझङ में ज्यों बहार
मेरे नीरव मन में
बरसती सावन फुहार
मीठी उसकी बोली सुनी
बज उठे सरगम के साज
मैं था बेरंग सूना
वो थी रंगों की कतार
रूप की रानी वो होगी
ऐसी जैसे घटा से झलकता चाँद
इक दीवानी माशूका से
फोन पर बात हो गई
बातें उसकी थी रसीली
खूबसूरत जादूभरी
गूँज उठी मेरी दुनिया
मेरा मन गाये मल्हार
अब उसी से शब और सुबह
चैन थी मेरे दिल का करार
मिलने को उससे था
मेरा मन बङा बेकरार
वो मेरी कविता मेरी कहानी
मेरे सपनों की रानी
इक अजनबी दिलरूबा से
मीठी तकरार हो गई
दिल से दिल का हुआ इकरार
हाँ मुझे है उससे प्यार
फोन पर नहीं रूबरू मिलें
दिल की पुकार
मेरे दिल की दुनिया में
चलती थी तपती ही बयार
वो है शीतल शालिनी
रिमझिम बरसात
वो है मेरा सपना बना लूँ मैं अपना
सच हो मेरी कल्पना
इक प्यारी सी प्रियतमा से
इश्के इज़हार हो गई
बातों में है उसकी अदा
हो गया मैं उसपे फिदा
डरता हूँ कभी हो न जाये
वो मुझसे जुदा
बजती घंटी जब फोन की
गाता व्योम झूमे धरती
दिल की हर धङकन
उसी का नाम जपती
वो है मेरी गज़ल झील का है कवल
उसे ही सुनु मैं हर पल
इक अल्हङ सी चंचलता से
फोनिक मुलाकातें हो गई
बातें उसकी इतनी मधुर
कानों में मिश्री सी घुल गई ।
[ ] सपना यशोवर्धन व्यास 😍😍🙏🙏🌑🌑
वाह सपना जी .. फोनिक मुलाकातें...👌👌👌
शुक्रिया पूनम जी🙏🥰